Main Kyon Nahin?

Author: Paru Madan Naik
Translator: Sunita Paranjape
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Main Kyon Nahin?

‘मैं क्यों नहीं?’ उपन्यास एक बहुत त्रासद सामाजिक विडम्बना को केन्द्र में रखकर लिखा गया है। पारू मदन नाईक ने भारतीय समाज में उन व्यक्तियों की व्यथा-कथा को रेखांकित किया है जो न स्त्री हैं न पुरुष। जो ‘हिजड़ा’ कहकर सम्बोधित किए जाते हैं जिनके लिए न परिवार सदय होता है न समाज उदार। हृष्ट-पुष्ट होने के बावजूद जिनके श्रम का कोई मूल्य नहीं आँका जाता। जाने कैसी-कैसी मुसीबतें झेलते हुए ‘हिजड़ा समुदाय’ के लोग अपना जीवन यापन करते हैं। यह उपन्यास इसी समुदाय के ‘भावनात्मक पुनर्वास’ का उपक्रम है।

उपन्यास नाज़ के माध्यम से आकार लेता है। नाज़ एक स्थान पर कहती है, ‘‘हमें, आपको, इस प्रकृति को ईश्वर ने ही बनाया है। हमें किसी दानव ने तो नहीं बनाया। लेकिन लोगों को इस बात का स्मरण नहीं रहता। क्या बताऊँ सर, किसी डॉक्टर के पास जाना पड़े, तो ठीक से ट्रीटमेंट भी नसीब नहीं होता। सहानुभूति से पेश आनेवाला, आप जैसा कोई, मुश्किल से ही मिलता है। शिक्षा पाना तो दूर, ऐसा ज़बरदस्त मखौल उड़ाया जाता है कि पूछिए मत!’’

अत्यन्त भावनाप्रवण उपन्यास। मराठी से अनुवाद करते समय सुनीता परांजपे ने भाषा-प्रवाह का विशेष ध्यान रखा है।

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Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Edition Year 2012
Pages 167p
Translator Sunita Paranjape
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.5
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Paru Madan Naik

Author: Paru Madan Naik

पारू मदन नाईक

जन्म : 19 अप्रैल, 1958- बेलगाँव, (महाराष्ट्र)।

शिक्षा : पी.यू.सी.।

प्रकाशित रचना : मोहिनी (उपन्यास)।

संगीत में विशेष रुचि।

‘मी का नाही’ उपन्यास पर मराठी भाषा में फ़िल्म निर्मित। इसी उपन्यास के लिए ‘लियो टॉलस्टॉय अवार्ड’।

कोवाड, ज़िला कोल्हापुर के ‘पद्मश्री रणजीत देसाई ग्रन्थालय’ की संचालिका तथा समाज सेवा में अग्रणी।

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