Mahasagar-Paper Back

Author: Jaywant Dalvi
Translator: Sarojini Verma
Special Price ₹45.00 Regular Price ₹50.00
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ISBN:9788180311802
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9788180311802

‘संध्‍या-छाया’ और ‘पुरुष’ जैसे चर्चित नाटकों के रचयिता जयवन्‍त दलवी का यह नाटक भी, न सिर्फ़ मराठी में, बल्कि हिन्दी में भी बहुत पसन्द किया जाता रहा है। मराठी रंगमंच पर इसकी लगभग एक हज़ार से ज्‍़यादा प्रस्तुतियाँ हो चुकी हैं, और अब भी जब कोई रंगमंडल इसे खेलता है, दर्शकों की भीड़ लग जाती है। अनेक ख्यातनामा निर्देशक और अभिनेता इससे जुड़े रहे हैं।

नाटक का मुख्य पात्र, कहें तो, वह मानव-मन है जो कभी-कभी भावनाओं के महासागर का रूप ले लेता है और उसकी उत्ताल तरंगों पर समाज द्वारा बनाई संस्थाएँ, उदाहरण के लिए परिवार, टूटे झोंपड़े की तरह तैरने लगती हैं। नाटक में दिगम्बर और सुमी दो मित्र हैं जो अपने-अपने परिवार में प्रसन्नतापूर्वक रहते हैं। सुमी का पति घनश्याम है और दिगम्बर की पत्नी चम्पू है। चम्पू दिगम्बर के छोटे भाई वसन्त को लेकर असहज है क्योंकि उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है, और सुमी अपने बॉस रहमान के प्यार में पड़ जाती है। इस सबका परिणाम भावोद्रेकपूर्ण नाटकीय स्थितियों में होता है, और दर्शक मनुष्य के चरित्र की अनेक परतों को अपने सामने से गुज़रते देखता है।

नाटक में सुदीर्घ और स्पष्ट लेखकीय निर्देश इसे न केवल भावी निर्देशकों-अभिनेताओं के लिए ग्राह्य बनाते हैं, बल्कि पुस्तक रूप में पढ़नेवाले पाठक भी नाटक के पात्रों और परिस्थितियों से ज्‍़यादा तादात्म्य स्थापित कर पाते हैं।

 

More Information
Language Hindi
Format Paper Back
Publication Year 2007
Edition Year 2007, Ed. 1st
Pages 148p
Price ₹50.00
Translator Sarojini Verma
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 18 X 12 X 1
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Author: Jaywant Dalvi

जयवन्‍त दलवी

जन्म : 14 अगस्त, 1925

प्रसिद्ध मराठी लेखक और नाटककार।

मराठी अख़बारों ‘प्रभात’ और ‘लोकमान्य’ में सहायक सम्‍पादक के रूप में काम किया और बाद में यूएसआईएस के साथ जुड़े। उन्हें नाटकों और मराठी साहित्यिक व्यक्तित्वों पर एक

हास्य-स्तम्‍भ के लिए सबसे ज़्यादा याद किया जाता है, जिसे उन्होंने ठनठनपाल के छद्म

नाम से लिखा था। उन्होंने मराठी और हिन्दी फ़िल्मों के लिए कथा और पटकथा लिखी।

प्रमुख कृतियाँ : ‘स्पर्श’, ‘कवादसे’, ‘प्रदक्षिणा’, ‘महानन्‍दा’, ‘अभिनेता’, ‘अलां फलाणे’, ‘अधान्‍तरि’, ‘अन्धराचाय चरणामि’, ‘चक्र’, ‘घर कौलारू’, ‘सोहाला’, ‘विरंगुला’, ‘निवाडक थन्थनपाल’, ‘सायंकलाची सावल्या’, ‘उतारवत’, ‘लोक अणि लौकिक’, ‘बाज़ार’, ‘सब गृहास्त्रो’, ‘महासागर’, ‘पर्याय’, ‘पुरुष’, ‘अरे शरीफ़ लोग’ आदि।

मराठी में लिखी जयवन्‍त दलवी की आत्मकथा का अनुवाद अंग्रेज़ी में ‘लीव्स ऑफ़ लाइफ़’

शीर्षक से प्रकाशित है।

निधन : 16 सितम्बर, 1994

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