Mahadevi Verma : Srijan Aur Sarokar

Literary Criticism
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Mahadevi Verma : Srijan Aur Sarokar
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आधुनिक काव्य-जगत में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण कवयित्री के रूप में समादृत महादेवी वर्मा की लोकप्रियता जितनी व्यापक है, उनके रचना-संसार को देखने-परखने की प्रविधियाँ भी उसी तरह अनेक रही हैं। इस पुस्तक में उनकी रचनात्मकता को समझने की जितनी पद्धतियाँ अब तक सामने आई हैं, उन सभी को संयोजित करने का प्रयास किया गया है ताकि उनके अवदान को लेकर हमारी समकालीन समझ दुरुस्त हो सके।

महादेवी वर्मा का काव्य-संसार जितना अमूर्त और भावपरक है, उनका गद्य-संसार उतना ही मूर्त और मुखर। यद्यपि सजग और सुधी पाठक चाहे तो उनकी कविताओं में भी तृप्ति और अतृप्ति के दारुण मनोभावों और स्त्री की विकलता से उपजे भावनात्मक विद्रोह को समझ और परख सकता है। इसी तरह उनके गद्य में भी विचार की गहराई और विस्तार, स्मृति तथा परिवेश के सूक्ष्म प्रेक्षण से उपजी अनेक महीन अर्थछवियों को देखा जा सकता है। इस पुस्तक में उन सभी सिरों को पकड़ने का प्रयास किया गया है ताकि उनके रचना-कर्म का एक सम्पूर्ण ख़ाका बनाया जा सके।

पुस्तक के तीन खंड हैं। ‘धरोहर’ खंड में महादेवी के समकालीन पन्त और उनकी कविता के आरम्भिक भाष्यकारों की आलोचना को स्थान दिया गया है। आत्मकथन-खंड में स्वयं उन्हीं की अभिव्यक्तियों को शामिल किया गया है। साहित्य संसार में शिक्षा के सम्यक दृष्टिकोण को अकसर पर्याप्त महत्व नहीं दिया जाता। इस खंड में शामिल महादेवी का लेख ‘शिक्षा का उद्देश्य’ उनकी चिन्तन परिधि की व्यापकता का अहसास कराता है। अन्तिम खंड का शीर्षक है ‘आस्वाद के नए धरातल’। इस खंड में बिलकुल नए ढंग से महादेवी वर्मा की विभिन्न रचनाओं के भाष्य की एक पीठिका निर्मित करने का प्रयास किया गया है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2023
Edition Year 2023, Ed. 1st
Pages 256p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 2
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Editorial Review

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Niranjan Sahay

Author: Niranjan Sahay

निरंजन सहाय

जन्म :  26 फरवरी, 1970; आरा, बिहार

पटना विश्वविद्यालय से स्नातक, जेएनयू से एम.ए. तथा एम.फिल. एवं मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर से पी-एच.डी ।

 हिन्दी  आलोचक और पाठ्यक्रम परिकल्पक के रूप में ख्यात। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में नियमित लेखन आकाशवाणी और दूरदर्शन से विभिन्न वार्ताएँ प्रकाशित।

प्रकाशित पुस्तकें : ‘केदारनाथ सिंह और उनका समय’, ‘आत्मानुभूति के दायरे’, ‘प्रपद्यवाद और नलिन विलोचन शर्मा’, ‘शिक्षा की परिधि’, ‘जनसंचार माध्यम और विशेष लेखन’, ‘कार्यालयी हिन्दी और कंप्यूटर अनुप्रयोग’।

सम्प्रति : हिंदी तथा आधुनिक भारतीय भाषा विभाग,  महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में अध्यक्ष पद पर कार्यरत।

ई-मेल : drniranjansahay@gmail.com

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