Maati

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शैलेन्द्र सागर का यह कहानी-संग्रह समय के अलक्षित किंतु असहनीय आतंक को अद्भुत रचनात्मक दक्षता के साथ अभिव्यक्त करता है। लेखक ने मानो यथार्थ की केंचुल उतार कर उसे और चमकदार बना दिया है। परिचित जीवन में अप्रत्याशित का अन्वेषण करते हुए शैलेन्द्र सागर ने संबंधों, आस्थाओं और मूल्यों के आत्मसंघर्ष को शब्दबद्ध किया है। समकालीन समाज का कलह एवं कोलाहल इन कहानियों में पार्श्व-संगीत की भाँति अनुभव किया जा सकता है। ये कहानियाँ जाने-अनजाने जीवन के शाश्वत प्रश्नों से टकराती हैं। कई बार चरित्रों के अंतर्द्वंद्व से छनती दार्शनिकता पाठक को मन के अगाध में उतरने का अवसर देती है। 
इसे कहानीकार का कौशल कहा जाएगा कि कथा-रस का पूर्ण परिपाक तथा प्रतिबद्ध रचनाकर्म का अनुशासन यहाँ संभव हुआ है। मध्यवर्ग की विसंगतियाँ, राजनीति के दारुण सच, जीवन की अतृप्त कामनाएँ और रागरंजित संसार में रक्तरंजित संवेदनाएँ इन कहानियों की अंतर्वस्तु का हिस्सा हैं। शैलेन्द्र सागर 
ने शिल्प की प्रयोगधर्मिता के स्थान पर ‘निरायास विन्यास’ को अंगीकार किया है।
यही ‘सहज शिल्प’ इन समस्त कहानियों का सौंदर्य है। ये कहानियाँ एक अर्थवान प्रतिवाद का पक्ष निर्मित करती हैं।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2000
Edition Year 2024
Pages 156p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 19 X 12.5 X 1.5
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Author: Shailendra Sagar

शैलेन्द्र सागर

शैलेन्द्र सागर का जन्म 5 अप्रैल, 1951 को रामपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ। उन्होंने अंग्रेजी साहित्य में एम.ए. किया। तीन वर्षों तक स्नातकोत्तर महाविद्यालय में अध्यापन किया। 1974 में उ.प्र. राज्य सिविल सर्विस में चयन हुआ और तदुपरांत 1976 से भारतीय पुलिस सेवा में सेवारत रहे। 2010 में पुलिस महानिदेशक के पद से सेवानिवृत्त हुए।
उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं—चतुरंग, चलो दोस्त सब ठीक है, एक सुबह यह भी (उपन्यास); मकान ढह रहा है, इस जुनून में, माटी, आमीन, प्रतिरोध (कहानी-संग्रह)। स्त्री-विमर्श से संबंधित दो पुस्तकों—मुस्कुराती औरतें और आजाद औरत कितनी आजाद  का सम्पादन किया।
उन्हें विजय वर्मा सम्मान, सरस्वती सम्मान, प्रेमचन्द सम्मान, महावीर प्रसाद द्विवेदी सम्मान  से सम्मानित किया गया है।
सम्प्रति : ‘कथाक्रम’ पत्रिका का सम्पादन और स्वतन्त्र लेखन।

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