Kit Aayun Kit Jaayun

Author: Shaligram
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Kit Aayun Kit Jaayun

‘कित आऊँ कित जाऊँ’ उपन्यास का लम्बा-चौड़ा फलक उत्तर बिहार की नदियों से घिरे गाँव का दृश्य उपस्थित करता...दक्षिण गंगा के कछार को छूता...उत्तर नेपाल के तराई भाग वाली मधेसी संस्कृति को एकीकृत करता हुआ समाज के भिन्न-भिन्न पात्रों की सहजता को बटोरता आगे बढ़ता है। इसमें हमें सुरपत और निरपत जैसे निम्नवर्गीय चरित्रों के संघर्षरत जीवन में अकिंचनता का बोध होते हुए भी; उनके अन्दर छिपे धैर्य, साहस एवं आत्मविश्वास की जिजीविषा का परिचय मिलता है। उपन्यास के सभी पात्र भिन्न-भिन्न रंग में रँगे हुए भी अपनी अस्मिता को बचाते हुए वे उस सादे एवं शाश्वत रंग में अपने को रँगाए रखते हैं जो ‘सब रंग मिटै; मिटे नहीं वह जो अमिट-अविनाशी’।

सुरपत, निरपत से लेकर भुजंगीचा जैसे माँझी-मल्लाह या टम्मन साहू, अनूप लाल, घोटल झा, तीरो सिंह जैसे मध्यवर्गीय चरित्र या कुमार साहब, रानीदाय, टापसी, लॉलीडीन, ठाकुर गरजू सिंह एवं पी.के. मलिक जैसे उच्चवर्गीय चरित्रों का यहाँ शुमार मिलता है जिससे उपन्यास की सार्थकता बनी रहती है। यह उपन्यास लघुता में छिपे अपने उस विराट को हमारे सम्मुख प्रस्तुत करता है जो अदृश्य होते हुए भी दृश्य है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2008
Edition Year 2008, Ed. 1st
Pages 240p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1.5
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Author: Shaligram

शालिग्राम

जन्म : 21 मई, 1934; मुंगेर (अब खगड़िया) ज़िला अन्तर्गत पचौत गाँव में।

शैक्षणिक माहौल भागलपुर, लेकिन साहित्यिक विरासत सहरसा की भूमि पर मिली जहाँ से सन् 1963 में ‘पाही आदमी’ कहानी-संग्रह का प्रकाशन हुआ, और जिस पर महान कथाशिल्पी रेणु ने लिखा था : “हिन्दी साहित्य में आंचलिक लेखन और आंचलिकता एक विवाद का विषय बना हुआ है। शालिग्राम का कथा-संग्रह ‘पाही आदमी’ इस चर्चा-परिचर्चा के लिए प्रचुर सामग्री लेकर प्रकाशित हो रहा है...।”

फिर छिटपुट रचनाएँ ‘धर्मयुग’, ‘साप्ताहिक हिन्दुस्तान’, ‘सारिका’, ‘नई कहानियाँ’, ‘दिनमान’ आदि पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहीं—गद्य-लेखन के साथ-साथ कविताएँ भी। सन् 1970 में ‘सांघाटिका’ कविता-संग्रह का प्रकाशन हुआ, और उसी साल राजस्थान माध्यमिक बोर्ड के पाठ्यक्रम में शामिल हुआ भारत-नेपाल पर लिखा एक सांस्कृतिक रिपोर्ताज ‘अटपट बैन मोरंगिया रैन’।

प्रमुख कृतियाँ : ‘पाही आदमी’ (कहानी-संग्रह); ‘सांघाटिका’ (कविता-संग्रह); ‘अटपट बैन मोरंगिया रैन’, ‘घोघो रानी कित्ता पानी’ (रिपोर्ताजीय कथा-वार्ता संग्रह); ‘किनारे के लोग’, ‘कित आऊँ कित जाऊँ’ (उपन्यास); ‘शालिग्राम की सात आंचलिक कहानियाँ’ आदि।

 

 

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