किरकिरी ‘राग मारवा’ के बाद ममता सिंह का दूसरा कथा-संग्रह है, जिसमें संकलित कहानियाँ प्रपंच में लिथड़े इस हिंसक समय में मानवीय संवेदनाओं के उत्स की तलाश करती हैं। ये कहानियाँ उन तमाम क्षणों को भी कलात्मकता के साथ दर्ज़ करती हैं, जिनमें मनुष्य अपने जीवन-राग को बचाए रखने के लिए बिना किसी बड़बोलेपन के संघर्ष करता है। निरन्तर संवेदनशील और आत्म-सजग बने रहने के लिए कोशिशें करते हर उम्र और हर वर्ग के स्त्री-पुरुष इन कहानियों में अपनी नैसर्गिकता के साथ उपस्थित हैं।
‘हथेली पर पिघलता चाँद’ कहानी के अल्ताफ़ वानी की पीड़ा और उनका जीवन-संघर्ष केवल कश्मीरी मुसलमान की पीड़ा या संघर्ष नहीं रहता, बल्कि कथा के रचाव में वह इस तरह विन्यस्त है कि स्थान और काल का अतिक्रमण करता है। दादी और अभिधा की कहानी ‘तुझी मी वाट पाहते’ स्मृतियों और वर्तमान के बीच आवाजाही का कलात्मक रचाव है। यह कहानी कोंकण के भूगोल में कुछ मार्मिक दृश्य रचती है और आँखों में आग-पानी एक साथ घुल-मिल जाते हैं। समुद्र की ताक़तवर लहरों की छाती चीरकर तैरनेवाली ‘स्कूबा डाइविंग’ की मछुआरिन लड़की अपनी हिम्मत और अपने आत्मविश्वास के बल पर आगे आने वाली पीढ़ी की लड़कियों के लिए पथ निर्मित करती है। प्राची की कथा ‘बंकर’ का यथार्थ अभी अतीत भी नहीं बन पाया है। यूक्रेन-रूस युद्ध की पृष्ठभूमि में मानवीय सम्वेदना की पड़ताल करती इस कथा का यथार्थ अभी कच्चा है, पर लेखिका ने अपने कथा-कहन के कौशल से इसे रोचक और संप्रेषणीय बनाया है।
ममता सिंह की कथा-भाषा सहज है। भावों और विचारों की अभिव्यक्ति के साथ-साथ यथार्थ के अंतर्द्वंद्वों की अभिव्यक्ति में सक्षम ममता की भाषा में दृश्यात्मकता भी है। इस संकलन की कहानियों को पढ़ते हुए पाठक की कल्पनाशीलता का विस्तार होता है और जीवन के मर्म से साक्षात्कार भी। ये कहानियाँ पाठक को जीवन के प्रति जिज्ञासु बनाती हैं।
—हृषीकेश सुलभ
Language | Hindi |
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Binding | Paper Back |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publication Year | 2023 |
Edition Year | 2023, Ed. 1st |
Pages | 160p |
Publisher | Radhakrishna Prakashan |
Dimensions | 22 X 14 X 1 |