Kirkiri

Author: Mamta Singh
Edition: 2023, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Radhakrishna Prakashan
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Kirkiri
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किरकिरी ‘राग मारवा’ के बाद ममता सिंह का दूसरा कथा-संग्रह है, जिसमें संकलित कहानियाँ प्रपंच में लिथड़े इस हिंसक समय में मानवीय संवेदनाओं के उत्स की तलाश करती हैं। ये कहानियाँ उन तमाम क्षणों को भी कलात्मकता के साथ दर्ज़ करती हैं, जिनमें मनुष्य अपने जीवन-राग को बचाए रखने के लिए बिना किसी बड़बोलेपन के संघर्ष करता है। निरन्तर संवेदनशील और आत्म-सजग बने रहने के लिए कोशिशें करते हर उम्र और हर वर्ग के स्त्री-पुरुष इन कहानियों में अपनी नैसर्गिकता के साथ उपस्थित हैं।

‘हथेली पर पिघलता चाँद’ कहानी के अल्ताफ़ वानी की पीड़ा और उनका जीवन-संघर्ष केवल कश्मीरी मुसलमान की पीड़ा या संघर्ष नहीं रहता, बल्कि कथा के रचाव में वह इस तरह विन्यस्त है कि स्थान और काल का अतिक्रमण करता है। दादी और अभिधा की कहानी ‘तुझी मी वाट पाहते’ स्मृतियों और वर्तमान के बीच आवाजाही का कलात्मक रचाव है। यह कहानी कोंकण के भूगोल में कुछ मार्मिक दृश्य रचती है और आँखों में आग-पानी एक साथ घुल-मिल जाते हैं। समुद्र की ताक़तवर लहरों की छाती चीरकर तैरनेवाली ‘स्कूबा डाइविंग’ की मछुआरिन लड़की अपनी हिम्मत और अपने आत्मविश्वास के बल पर आगे आने वाली पीढ़ी की लड़कियों के लिए पथ निर्मित करती है। प्राची की कथा ‘बंकर’ का यथार्थ अभी अतीत भी नहीं बन पाया है। यूक्रेन-रूस युद्ध की पृष्ठभूमि में मानवीय सम्वेदना की पड़ताल करती इस कथा का यथार्थ अभी कच्चा है, पर लेखिका ने अपने कथा-कहन के कौशल से इसे रोचक और संप्रेषणीय बनाया है।

ममता सिंह की कथा-भाषा सहज है। भावों और विचारों की अभिव्यक्ति के साथ-साथ यथार्थ के अंतर्द्वंद्वों की अभिव्यक्ति में सक्षम ममता की भाषा में दृश्यात्मकता भी है। इस संकलन की कहानियों को पढ़ते हुए पाठक की कल्पनाशीलता का विस्तार होता है और जीवन के मर्म से साक्षात्कार भी। ये कहानियाँ पाठक को जीवन के प्रति जिज्ञासु बनाती हैं।

—हृषीकेश सुलभ

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Language Hindi
Binding Paper Back
Publication Year 2023
Edition Year 2023, Ed. 1st
Pages 160p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1
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Mamta Singh

Author: Mamta Singh

ममता सिंह

16 नवम्बर को धुबरी, असम में जन्मी ममता सिंह इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संस्कृत में एम.ए. और रूसी भाषा में डिप्लोमा प्राप्त हैं। वे प्रयाग संगीत समिति से प्रभाकर हैं।

उनकी तीन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं—‘राग मारवा’, ‘किरकिरी’ (कहानी-संग्रह); ‘अलाव पर कोख’ (उपन्यास)। प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में कहानियाँ, संस्मरण और लेख प्रकाशित होते रहे हैं।

अपने ऑडियो ब्लॉग ‘कॉफी हाउस’ के जरिये वे मशहूर लेखकों की कहानियों और ‘बतकही’ ब्लॉग के जरिये अपनी कहानियों का वाचन करती हैं।

उन्हें साहित्यिक-सांस्कृतिक कार्यक्रमों के मंच-संचालन और नाटकों में अभिनय का विशेष अनुभव है। वे मुम्बई के पहले हिन्दी सांध्य दैनिक ‘निर्भय पथ’ में उप-सम्पादक रह चुकी हैं। एक हिन्दी वार्षिक कैलेंडर का सम्पादन भी किया है।

पहले कहानी-संग्रह ‘राग मारवा’ के लिए वे महाराष्ट्र राज्य साहित्य अकादमी के पुरस्कार और मध्य प्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन के ‘वागीश्वरी सम्मान’ से सम्मानित हैं। उन्हें आकाशवाणी की सर्वश्रेष्ठ उद्घोषिका का ‘राष्ट्रीय पुरस्कार’ भी मिल चुका है।

वर्तमान में विविध भारती में उद्घोषिका हैं और ‘रेडियो-सखी’ के नाम से मशहूर हैं।

ई-मेल : radiosakhi@gmail.com

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