प्रख्यात नाटककार बर्टोल्ट ब्रेष्ट के बहुचर्चित नाटक ‘कॉकेशियन चाक सर्किल’ का हिन्दी अनुवाद है : ‘खड़िया का घेरा’। अनुवादक हैं हिन्दी के प्रसिद्ध कथाकार कमलेश्वर।
प्रस्तुत नाटक जिस तरह की, और जिस संक्रान्ति की दुनिया हमारे सामने पेश करता है, उसकी अनुगूँज हमें अपने इतिहास और वर्तमान में मिलने लगती है। इस नाटक में वे सामन्त हैं जो सर्वहारा की क्रान्ति को कुचल देना चाहते हैं...हमारे यहाँ सत्ताधारी राजनीतिज्ञों का वर्ग है, जो जनता के नाम पर अपनी सत्ता को स्थापित कर रहा है। इस नाटक के काज़बेकी, काज़बेकी का भतीजा, डॉक्टर, किसान और स्वयं अजूदक—कहीं-न-कहीं हमें और हमारी स्थितियों को मूर्तिमान करते दिखाई देते हैं।
भ्रष्टाचार, पतन, मूल्यहीनता, अवसरवादिता, पदलोलुपता, जनता के नाम पर जनता का शोषण, न्यायहीनता और अन्धापन—जो इस नाटक में व्याप्त हैं, वे भारतीय प्रजातंत्र के संत्रास को भी उजागर कर रहे हैं। संस्थाओं, वर्गों और व्यक्तियों के नाम दूसरे हैं पर जनता एक ही तरह से अभिशप्त और संत्रस्त है। संक्रान्ति और सन्ताप का जो अनुभव यह नाटक देता है, वही आज के भारतीय का जीवन-अनुभव भी है। अनेक देशों में सदियों से चली आती एक लोककथा को आधुनिक सन्दर्भ दिया है ब्रेष्ट ने। कई भाषाओं में अनूदित और मंचित एक पठनीय नाट्य-कृति!
Language | Hindi |
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Binding | Hard Back, Paper Back |
Translator | Kamleshwar |
Editor | Not Selected |
Publication Year | 2002 |
Edition Year | 2025, Ed. 3rd |
Pages | 131p |
Publisher | Radhakrishna Prakashan |
Dimensions | 21.5 X 13 X 1 |