Kharia Ka Ghera-Hard Cover

Author: Bertolt Brecht
Translator: Kamleshwar
Special Price ₹335.75 Regular Price ₹395.00
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ISBN:9788171197606
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9788171197606
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प्रख्यात नाटककार बर्टोल्ट ब्रेष्ट के बहुचर्चित नाटक ‘कॉकेशियन चाक सर्किल’ का हिन्दी अनुवाद है : ‘खड़िया का घेरा’। अनुवादक हैं हिन्दी के प्रसिद्ध कथाकार कमलेश्वर।

प्रस्तुत नाटक जिस तरह की, और जिस संक्रान्ति की दुनिया हमारे सामने पेश करता है, उसकी अनुगूँज हमें अपने इतिहास और वर्तमान में मिलने लगती है। इस नाटक में वे सामन्त हैं जो सर्वहारा की क्रान्ति को कुचल देना चाहते हैं...हमारे यहाँ सत्ताधारी राजनीतिज्ञों का वर्ग है, जो जनता के नाम पर अपनी सत्ता को स्थापित कर रहा है। इस नाटक के काज़बेकी, काज़बेकी का भतीजा, डॉक्टर, किसान और स्वयं अजूदक—कहीं-न-कहीं हमें और हमारी स्थितियों को मूर्तिमान करते दिखाई देते हैं।

भ्रष्टाचार, पतन, मूल्यहीनता, अवसरवादिता, पदलोलुपता, जनता के नाम पर जनता का शोषण, न्यायहीनता और अन्धापन—जो इस नाटक में व्याप्त हैं, वे भारतीय प्रजातंत्र के संत्रास को भी उजागर कर रहे हैं। संस्थाओं, वर्गों और व्यक्तियों के नाम दूसरे हैं पर जनता एक ही तरह से अभिशप्त और संत्रस्त है। संक्रान्ति और सन्ताप का जो अनुभव यह नाटक देता है, वही आज के भारतीय का जीवन-अनुभव भी है। अनेक देशों में सदियों से चली आती एक लोककथा को आधुनिक सन्दर्भ दिया है ब्रेष्ट ने। कई भाषाओं में अनूदित और मंचित एक पठनीय नाट्‌य-कृति!

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2002
Edition Year 2021, Ed. 2nd
Pages 131p
Price ₹395.00
Translator Kamleshwar
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 21.5 X 13 X 1
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Bertolt Brecht

Author: Bertolt Brecht

बर्टोल्ट ब्रेष्ट

जर्मन नाटककार, कवि, निर्देशक बर्टोल्ट ब्रेष्ट का जन्म 10 फरवरी, 1898 को हुआ था। उनकी ज़िन्दगी और साहित्य का अहम मक़सद थाअमर शान्ति का पैगाम और उसका प्रचार।

ब्रेष्ट ने पहले विश्वयुद्ध में एक मेडिकल टीम के सदस्य के रूप में भाग लिया, परन्तु युद्ध की मारकाट, तबाही और बर्बादी ने उनके मन पर गहरा असर छोड़ा। उन्होंने 1918 में अपनी पहली कविता लीजेंड ऑव द डेड सोल्जर लिखी और चौबीस वर्ष की आयु में पहला नाटक ड्रम्स इन द नाइट लिखा।

उन्होंने बाल (1919), ‘इन द जंगल ऑव सिटीज (1923) और मैन इक्वल्स मैन (1925) में एक नई नाट्य-प्रस्तुति का प्रयोग किया जो दर्शकों को नाटक के कथ्य से भावनात्मक रूप में जुड़ने से रोकता था। अपने नाटकों ही हू सेज़ यस (1929) और ही हू सेज़ नो (1930) में उन्होंने यह सवाल उठाया कि क्या क्रान्ति के लिए व्यक्ति की बलि दी जा सकती है। द‌ि एक्सेप्शन एंड ‌द रूल में वर्गभेद द्वारा मानव-शोषण का मुद्दा उठाया गया है। पहली प्रस्तुति पर सफलता द थ्री पेनी ओपेरा (1928) से मिली थी।

हिटलर के बढ़ते प्रभाव के कारण वह 1933 में जर्मनी से फ़रार हो गए और देशाटन के बाद 1941 में अमरीका पहुँचे। विदेश प्रवास में उन्होंने ए लाइफ़ ऑव गैलीलियो’, ‘मदर करेज एंड हर चिल्ड्रेन’, ‘द गुड वुमन ऑव सेत्जुआन’, ‘द रेस‌िस्टबल राइज़ ऑव आर्टोरो ओई तथा द कॉकेशियन चॉक सर्किल जैसे कालजयी नाटकों की रचना की।

निधन : 14 अगस्त, 1956

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