'ख़लजी कालीन भारत' समय के लिहाज से अल्प किन्तु महत्त्व की दृष्टि से अत्यन्त आवश्यक शासनकाल (1290-1320 ई.) से सम्बन्धित पुस्तक है।
डॉ. अतहर अब्बास रिज़वी ने इस पुस्तक में जिन तत्कालीन ग्रन्थों के परम आवश्यक उद्धरणों का समावेश किया है, उनमें हैं-जियाउद्दीन बरनी की 'तारीखे फ़ीरोजशाही', अमीर खुसरो के पाँच ऐतिहासिक ग्रन्थ 'मिफ़ताहुल फुतूह', 'खजाइनुल फुतूह', 'दिवलरानी खिज्र खानी', 'नुह सिपेहर' और 'तुग़लक्रनामा', साथ ही मुहम्मद बिन तुग़लक़ की मृत्यु से कुछ ही पहले लिखनेवाले एसामी की 'फुतूहुस्सलातीन'।
इब्ने बतूता की यात्रा के उल्लेख से भी खलजी वंश से सम्बन्धित उद्धरण दिए गए हैं। कुछ काल पीछे के लिखे हुए तीन अन्य ग्रन्थों का भी समावेश इसलिए कर लिया गया है कि जिन मूल ग्रन्थों के आधार पर वे लिखे गए हैं, उनके अप्राप्य हो जाने के कारण उनकी अहमियत बढ़ गई है। ये ग्रन्थ हैं यहया बिन अहमद का 'तारीखे मुबारक शाही', अबुल क़ासिम हिन्दू शाह फ़रिश्ता अस्तराबादी का 'गुलशने इब्राहीमी' जिसकी प्रसिद्धि 'तीरीखे फ़रिश्ता' के नाम से है, और जफ़रुलवालेह के नाम से प्रचलित अरबी में लिखा हुआ' गुजरात का इतिहास'।
द्वान अनुवादक ने इन ग्रन्थों का आलोचनात्मक विवेचन किया है जिसके चलते यह पुस्तक इतिहासज्ञों के साथ-साथ सामान्य पाठकों के लिए भी सुग्राह्य हो गई है।
Language | Hindi |
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Binding | Hard Back |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publication Year | 2005 |
Edition Year | 2023, Ed. 5th |
Pages | 221p |
Publisher | Rajkamal Prakashan |
Dimensions | 24.5 X 16 X 1.5 |