कैरेबियन देशों के बीच सूरीनाम भारतीयता का ज्योति- स्तम्भ है। 1873 से 1916 के बीच यहाँ आए भारतवंशी आप्रवासियों ने अपने श्रम से इस देश के सौन्दर्य और गौरव को नए सिरे से अन्वेषित किया। आज यहाँ क्रियोल, बुश नीग्रो, जावानीज, इंडोनेशियाई, चीनी और अमेरिकी नागरिकों के साथ चालीस प्रतिशत जनसंख्या भारतवासियों की है, जो विभिन्न माध्यमों से भारतीयता और भारतीय संस्कृति की प्रतिष्ठापना में संलग्न हैं। साहित्य भी इन्हीं माध्यमों में से एक है जिसकी रचना रोमन लिपि में लिखी जाने वाली सरनामी हिन्दी में की जाती है। सरनामी साहित्य का विकास मुख्यतः दो विधाओं, कविता और कथा में हुआ है। नाटक जैसे शिल्प में लिखी जाने वाली इन कथाओं की विषयवस्तु समाज सुधार और दैनिक जीवन की समस्याओं से ली जाती है, या फिर इनमें भारतीय मिथकों का रूपायन किया जाता है। इस पुस्तक में संकलित रचनाएँ एक ओर जहाँ सूरीनाम-वासी भारतवंशियों के जीवन, चिन्तन और विश्वदृष्टि का परिचय देती हैं, वहीं उनसे उनके भारत-प्रेम की झलक भी मिलती है।
Language | Hindi |
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Binding | Hard Back |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publication Year | 2003 |
Edition Year | 2023, Ed. 2nd |
Pages | 184p |
Publisher | Radhakrishna Prakashan |
Dimensions | 22.5 X 14.5 X 2 |