Kashmir : Sahitya Aur Sanskriti

Edition: 2022, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
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Kashmir : Sahitya Aur Sanskriti

कश्मीर का प्राकृतिक सौन्दर्य जितना विश्वविख्यात है, उतना ही उसकी साहित्यिक सांस्कृतिक विरासत भी मूल्यवान और सर्वविदित है। 

ऊँची-ऊँची पहाड़ियाँ घाटियों के बीच में भास्वरित होती झीलें, झाड़ियों से भरे जंगल फूलों से घिरी पगडण्डियाँ केसर-पुष्पों से महकते खेत, कल-कल करते झरने, बर्फ से आच्छादित पर्वतमालाएँ आदि कश्मीर की अनुपम खूबसूरती को स्वतः ही बयाँ करते हैं।

प्राकृतिक सौन्दर्य के साथ-साथ कश्मीर की सांस्कृतिक साहित्यिक धरोहर भी कम अनूठी और गौरवशाली नहीं है। इस धरती को धर्म-दर्शन और विद्या-बुद्धि की पुण्य-स्थली माना जाता है। शारदापीठ भी कहा जाता है और रेश्यवार (ऋषियों की बगीचों) के नाम से भी अभिहित किया जाता है। इस भूखण्ड ने भारतीय ज्ञानपरम्परा को बड़े-बड़े मनीषी विद्वान और कालजयी महापुरुष दिये हैं जिनका अवदान सदा स्मरणीय रहेगा। महान रसशास्त्री और शैवाचार्य अभिनव गुप्त, कवि-इतिहासकार (राजतरंगिणीकार) कल्हण काव्यशास्त्री मम्मट आनन्दवर्धन, वामन, आचार्य क्षेमेन्द्र आदि के नाम इस सन्दर्भ में बड़े गर्व के साथ लिये जा सकते हैं।

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Language Hindi
Binding Paper Back
Publication Year 2022
Edition Year 2022, Ed. 1st
Pages 192p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 21.5 X 14 X 1
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Author: Shiben Krishna Raina

डॉ. शिबन कृष्ण रैणा

जन्म : 22 अप्रैल, 1942 को श्रीनगर-कश्मीर में।

​शिक्षा : कश्मीर विश्वविद्यालय से हिंदी में एम.ए. तथा कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से यूजीसी की फेलोशिप पर पी-एच.डी.। राजस्थान विश्वविद्यलय से एम.ए. अंग्रेजी की उपाधि अ​​​र्जित किया।

गतिविधियाँ : 1966 में राजस्थान लोकसेवा आयोग, अजमेर से हिन्दी व्याख्याता पद पर चयन हुआ। कालान्तर में हिन्दी विभागाध्यक्ष, उप-प्राचार्य/प्राचार्य आदि पदों पर पदोन्नत हुए। 1999 से लेकर 2001 तक भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला में अध्येता/फेलो रहे।

संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के सीनियर फेलो (हिन्दी) रहे। हिन्दी के प्रति योगदान को देखकर भारत सरकार ने 2015 में विधि और न्याय मंत्रालय की हिन्दी सलाहकार समिति का गैर-सरकारी सदस्य मनोनीत किया।

साहित्य सेवा : चौदह पुस्तकों और सौ से भी अधिक लेख/शोधपत्र प्रकाशित। देश की कई साहित्यिक/सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। कश्मीरी रामायण ‘रामावतारचरित’ का सानुवाद देवनागरी में लिप्यंतर।

पुरस्कार : राजस्थान साहित्य अकादमी का अनुवाद पुरस्कार, बिहार राजभाषा विभाग द्वारा ताम्रपत्र से विभूषित तथा कई पुरस्कारों एवं सम्मानों से समादृत।

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