Kantha

Edition: 2023, Ed. 2nd
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
As low as ₹539.10 Regular Price ₹599.00
10% Off
In stock
SKU
Kantha
- +
Share:

मूर्धन्य साहित्यकार जयशंकर प्रसाद का साहित्य सर्वसुलभ है लेकिन उनके ‘तुमुल कोलाहल’ भरे जीवन की कहानी से दुनिया अब तक प्रायः अपरिचित रही है। ऐसे में, प्रसाद के महाप्रयाण के आठ दशक बाद उनकी जीवन-कथा को पहली बार पूरे विस्तार से प्रस्तुत करनेवाले उपन्यास ‘कंथा’ का महत्त्व स्वयंसिद्ध है।

सुपरिचित कथाकार श्याम बिहारी श्यामल ने अपनी इस कृति में प्रसाद का जीवन-चित्र तो आँका ही है, बीसवीं सदी के आरम्भिक दौर के उस पूरे परिदृश्य को उसके सम्पूर्ण रूप-गुण, राग-रंग और घात-प्रतिघातों के साथ साकार कर दिया है, जिसमें प्रसाद का कृती-व्यक्तित्व विकसित हुआ था।

श्यामल ने इस उपन्यास में प्रसाद के युग का जो चित्र उकेरा है, उसमें मदन मोहन मालवीय, महावीरप्रसाद द्विवेदी, प्रेमचन्द, सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’, शिवपूजन सहाय, महादेवी वर्मा, रामचन्द्र शुक्ल, केशव प्रसाद मिश्र, रायकृष्ण दास, विनोदशंकर व्यास, कृष्णदेव प्रसाद गौड़ आदि अनेक विभूतियों को कथा-चरित्र के रूप में सक्रिय देखना पाठक के लिए अविस्मरणीय अनुभव होगा।

प्रसाद के युग को रचने के लिए इस उपन्यास में लेखक ने जिस भाषा और दृश्यबद्ध शैली को गढ़ा है, वह न सिर्फ़ उसकी विशिष्ट रचनाशीलता का प्रमाण है, बल्कि पाठकों को भी विरल अनुभव प्रदान करनेवाला है।

More Information
Language Hindi
Binding Paper Back
Publication Year 2021
Edition Year 2023, Ed. 2nd
Pages 544p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 4
Write Your Own Review
You're reviewing:Kantha
Your Rating
Shyam Bihari 'Shyamal'

Author: Shyam Bihari 'Shyamal'

श्‍याम बिहारी ‘श्‍यामल’

जन्म : 20 जनवरी, 1965; डालटनगंज, पलामू,  झारखंड।

प्रमुख कृतियाँ : पलामू के सूखा-अकाल और दुर्धर्ष जीवन-संघर्ष पर आधारित उपन्यास ‘धपेल’ का 1998 में प्रकाशन। दूसरा उपन्यास ‘अग्निपुरुष’ भी चर्चित। यह भी पलामू की पृष्ठभूमि व जनजीवन में चर्चित एक पात्र सतुआ पांडे के वृत्तान्त पर केन्द्रित। कहानी-संग्रह—‘चना चबेना गंग-जल’; संस्मरण—‘वे दिन जो कभी ढले नहीं’; ग़ज़ल-संग्रह—‘श्यामलकदा’ और कविता-पुस्तिका—‘प्रेम के अकाल में’ भी प्रकाशित।

पहली किताब ‘लघुकथाएँ अँजुरी भर’ सत्यनारायण नाटे के साथ साझे में 1984 में प्रकाशित। उसी दौर से लेकर अब तक लेखन और पत्रकारिता।

फ़िलहाल, आधुनिक हिन्दी भाषा-साहित्य के पितामह भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के मनोसंघर्ष पर आधारित उपन्यास के सृजन में रत।

‘कंथा’ का इससे पूर्व ‘नवनीत’ (मुम्बई) में मई 2010 से अक्टूबर 2012 तक के अंकों में धारावाहिक प्रकाशन और पाठकों के बीच चर्चित।

सम्प्रति : वाराणसी में ‘दैनिक जागरण’ के मुख्य उप-सम्पादक।

-मेल : shyambiharishyamal1965@gmail.com

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top