आशावाद बनाम यथार्थ, यह वाल्‍टेयर के इस प्रसिद्ध फ़्रेंच उपन्यास की मुख्य थीम है। आशावादी नज़रिए की अपूर्णता और अपर्याप्तता को व्यंग्यात्मक शैली में रेखांकित करनेवाले इस उपन्यास की रचना लेखक ने 1759 में की थी।

मध्य अठारहवीं सदी की दुखमयी घटनाओं, विशेषकर 1755 के लिस्बन भूकम्प, जर्मन राज्यों में सात वर्ष लम्बे युद्ध आदि से गहरे में प्रभावित इस उपन्यास में प्रबोधन काल के चरम आशावाद की सीमाओं को व्यंग्य शैली में इंगित किया गया है।

यह पुस्तक विशेष रूप से किशोरों को ध्यान में रखकर किया गया ‘कांदीद’ का संक्षिप्त रूपान्तरण है। रूपान्तर किया है हिन्दी के प्रगतिशील उपन्यासकार भैरवप्रसाद गुप्त ने।

विश्व क्लासिक कथा-रचनाओं की किशोरों के लिए सरल, संक्षिप्त रूप में पुनर्प्रस्तुति की इस शृंखला में गोर्की, दोस्तोयेव्स्की, मार्क ट्वेन और वाल्टर स्कॉट आदि लेखकों की विश्व-प्रसिद्ध कृतियाँ भी उपलब्ध हैं।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 1972
Edition Year 2018, Ed. 5th
Pages 127p
Translator Bhairavprasad Gupt
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22.5 X 14 X 1
Write Your Own Review
You're reviewing:Kandid
Your Rating

Author: Valtaire

वाल्टेयर

प्रसिद्ध फ़्रांसीसी लेखक, निबन्धकार और दार्शनिक वाल्टेयर का जन्म 21 नवम्बर, 1694 को पेरिस में हुआ था। वाल्टेयर बहुमुखी लेखन-प्रतिभा के धनी थे और उन्होंने तमाम विधाओं में 2000 से ज्‍़यादा पुस्तकों, पुस्तिकाओं और पर्चों की रचना की। विचारों से सुधारवादी रुझान के लेखक वाल्टेयर ने अपने लेखन में तत्कालीन कैथोलिक चर्च और फ़्रांसीसी सत्तातंत्र की निर्भय आलोचना की।

उनका निधन 30 मई, 1778 को पेरिस में हुआ।

Read More
Books by this Author
Back to Top