Kachhua Ki Tarha

Author: Rajendra Dani
Edition: 2001, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Radhakrishna Prakashan
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Kachhua Ki Tarha

राजेन्द्र दानी की कहानियों का यह चौथा संग्रह है। अपनी इस लम्बी रचना-यात्रा में वे आज की प्रतिष्ठित प्रायोजन कला से सायास दूर रहे हैं। शम्‍भु गुप्त ने ‘पहल’ पुस्तिका में उनकी कहानियों पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए लिखा है : “अपने बदलते हुए सम-काल और उसके समानान्तर एक नए शिल्प की तलाश उनके कथा-श्रम की पहचान है। संश्लिष्ट या कि योगात्मक यथार्थ को अधिक से अधिक स्पष्ट और अयोगात्मक बना देने में वे निरन्तर सफलता हासिल करते देखे जा सकते हैं। इस कार्य में उनकी कहानियाँ अनेक कथा-रूढ़ियों, कथा-शिल्प के पुराने ढर्रे को बहुत ही सादगी और इत्मीनान के साथ तोड़ती और उलाँघती चलती हैं। यह तोड़ना या उलाँघना, यहाँ न तो तोड़ने या उलाँघने के लिए है और न सायास कोई नयापन लाने के लिए। यहाँ सब कुछ बहुत ही नामालूम तरीक़े से और अपनी संरचना को अधिक से अधिक पारदर्शी बनाने, बनाते चलने की एक स्वाभाविक प्रक्रिया के तहत सम्पन्न होता है।...वे आम प्रचलित और बहुलिखित विषयों से अलग कुछ नए और ज़्यादा गहरे विषयों से अपनी कहानियों में उलझते हैं। सतह पर दिखनेवाले बहुत सारे प्रसंग और मुद्दे उनकी कहानियों के विषय नहीं बनते। राजेन्द्र दानी भारतीय समाज के समकालीन संक्रमण के सचेत कथाकार हैं, यदि यह कहा जाए, तो यह उनकी सबसे अलग और सही पहचान होगी। यह पहचान उनकी इधर की कुछ ताज़ा कहानियों से और ज़्यादा पुख़्ता होती है।”

उपरोक्त कथन के सन्दर्भ में संग्रह की ‘कछुए की तरह’, ‘इस सदी के अन्त में एक सपना’, ‘ठंडी तेज़ रफ़्तार’, ‘विस्थापित’ और ‘एक झूठे की मौत’ जैसी कहानियाँ अत्यन्त महत्त्‍वपूर्ण हैं, जो अपनी ख़ास भंगिमा और कथ्य–विधान के नाते जानी जाती हैं। संग्रह में शामिल अन्य कहानियों को भी नज़रअन्दाज़ नहीं किया जा सकता, उनकी अपनी अलग मौलिक दुनिया है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2001
Edition Year 2001, Ed. 1st
Pages 120P
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.5
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Author: Rajendra Dani

राजेंद्र दानी

जन्म : 5 नवम्बर, 1953 को छत्तीसगढ़ के राजनांदगाँव नामक नगर में।

शिक्षा : बी.एस-सी. करने के बाद इतिहास में उच्च शिक्षा।

प्रमुख कृतियाँ : ‘दूसरा क़दम’, ‘उनका जीवन’, ‘संक्रमण’ और ‘कछुए की तरह’, ‘नेपथ्‍य का अँधेरा’, ‘महानगर’, ‘एकत्र’, ‘मेमोरी फुल’, ‘भूलने का रास्‍ता’, ‘पारगमन’ (कहानी-संग्रह)।

सम्‍पादन : हिन्‍दी की प्रतिष्ठित पत्रिका ‘पहल’ में सम्‍पादन-सहयोग।

सम्‍मान : मध्‍य प्रदेश साहित्‍य अकादेमी का ‘अखिल भारतीय मुक्तिबोध पुरस्‍कार’, ‘गायत्री कथा सम्‍मान’, ‘विशिष्‍ट हिन्‍दी सेवा सम्‍मान’।

मध्य प्रदेश विद्युत मंडल, मुख्यालय में कार्य। अब सेवानिवृत्‍त।

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