Jaishankar Prasad : Rangdristi-1

Author: Mahesh Anand
Edition: 1998
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Jaishankar Prasad : Rangdristi-1

जयशंकर प्रसाद के नाटक जिस कलात्मक तलाश की ओर संकेत करते हैं, उसमें व्यंजित होनेवाले वादी–विवादी दृश्यात्मक स्वर हमेशा से रंगकर्मियों और नाट्य–अध्येताओं के लिए चुनौती का विषय रहे हैं। अनेक रंगकर्मियों ने इस चुनौती को स्वीकार करते हुए, प्रसाद के समय से आज तक, अपने–अपने तरीक़े से, प्रायोगिक मंचन द्वारा उनके नाटकों के साथ रचनात्मक रिश्ता बनाने का प्रयास किया है। इन विभिन्न प्रयोगों द्वारा प्रसाद के रंगमंच की एक ऐसी रूपरेखा उभर रही है, जिसको प्रस्थान–बिन्दु मानकर आगे का रास्ता तय किया जा सकता है। इसी उद्देश्य से रंग–अध्येता महेश आनन्द ने इस पुस्तक में, प्रसाद के नाटकों से सम्बन्धित अहम सवालों को कुरेदते हुए, उनकी प्रस्तुतियों की प्रामाणिक सूचनाओं एवं महत्त्वपूर्ण प्रस्तुतियों के विस्तृत विवेचन के माध्यम से रंगकर्मियों के प्रयासों के अनेक पड़ावों को रेखांकित किया है।

विभिन्न प्रस्तुतियों से जुड़े निर्देशकों के वक्तव्यों, साक्षात्कारों, पत्रों और दुर्लभ समीक्षाओं के माध्यम से प्रसाद की नाट्यकला तथा रंगकर्मियों की अन्तर्दृष्टि का एक नया रूप उभरता है। वर्षों के अथक परिश्रम से एकत्रित महत्त्वपूर्ण दस्तावेज़ों—दृश्य–रचना, वेशभूषा, रंगोपकरणों के रेखांकनों, स्मारिकाओं, प्रस्तुतियों के छायाचित्रों, पोस्टरों—के द्वारा प्रसाद के नाटकों की रंगयात्रा की पहचान कराई गई है। एक तरह से यह सामग्री प्रसाद के मंचित नाटकों के रंग–इतिहास के साथ–साथ शौकिया मंडलियों की एक अन्तरंग झलक भी प्रस्तुत करती
है।

हिन्दी में प्रकाशित यह पहली पुस्तक है, जिसमें किसी नाटककार की रंगसृष्टि के विविध रूपों से साक्षात्कार करने की प्रक्रिया में प्रलेखन (डॉक्यूमेंटेशन) का महत्त्व दिखाया गया है। पुस्तक के पहले भाग ‘जयशंकर प्रसाद : रंगदृष्टि’ में प्रसाद के रंग–परिवेश तथा रंग–चिन्तन का विश्लेषण करते हुए उनके नाटकों के शिल्प और रंग–सम्भावनाओं को रेखांकित किया गया है।

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Language Hindi
Binding Hard Back
Edition Year 1998
Pages 2010
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 24.5 X 16 X 2
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Author: Mahesh Anand

महेश आनंद

नाट्य-समीक्षक तथा रंग-अध्येता।

समकालीन भारतीय रंगमंच से गहरा और सक्रिय जुड़ाव।

रंगमंच की शीर्ष पत्रिका नटरंग में कई वर्षों तक संपादन-सहयोग।

प्रकाशित रचनाएँ : कहानी का रंगमंच (1997), जयशंकर प्रसाद : रंगसृष्टि/रंगमंच के लिए नाटक (1998), रंग दस्तावेज़ दो खंड (2008), रंगमंच के सिद्धान्त (देवेन्द्र राज अंकुर के साथ संपादन, 2009)

विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में समीक्षाएँ तथा लेख।

संप्रति : दिल्ली कॉलेज ऑफ़ आर्ट् स ऐंड कॉमर्स (दिल्ली विश्वविद्यालय) में अध्यापन।

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