Hindnama : Ek Mahadesh Ki Gatha

Poetry
Author: Krishna Kalpit
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Hindnama : Ek Mahadesh Ki Gatha
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हिन्दनामा’ एक महादेश की गाथा उसी तरह है जिस तरह प्रेमचन्द का ‘गोदान’ भारतीय किसान जीवन की गाथा है। ‘हिन्दनामा’ इतिहास है न काल्पनिक उपन्यास। यह एक धूलभरा दर्पण है जिसमें हमारे देश की बहुत सी धूमिल और चमकदार छवियाँ दिखाई देती हैं। ‘हिन्दनामा’ दरअसल हिन्दुस्तान के बारे में एक दीर्घ कविता है जिसमें कोई कालक्रम नहीं है। सब कुछ स्मृतियों की तरह गड्डमड्ड है, जहाँ प्राचीन और अर्वाचीन इस तरह मिलते हैं जैसे किसी नदी के घाट पर शेर और बकरी एक साथ अपनी प्यास बुझा रहे हों। इसकी कोई बिबलियोग्राफ़ी नहीं है—यह कबीर के करघे पर बुनी हुई एक रंगीन चादर है, जो शताब्दियों से शताब्दियों तक तनी हुई है। उग्र राष्ट्रवाद के इस वैश्विक दौर में अपने राष्ट्र को जानने की कोशिश निश्चय ही जोखिम का काम है, और यह कहने की शायद कोई ज़रूरत नहीं कि ‘हिन्दनामा’ हिन्दूनामा नहीं है। हिन्दुस्तान का इन्द्रधनुष जो सात रंगों से मिलकर बना है, उसकी ऐसी गाथा है जो कभी और कहीं भी ख़त्म नहीं होती—चलती ही जाती है। हिन्दी काव्य-जगत के लिए बरसों बाद हासिल एक उपलब्धि है ‘हिन्दनामा’।

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Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2019
Edition Year 2019, Ed. 1st
Pages 304p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 3
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Editorial Review

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Krishna Kalpit

Author: Krishna Kalpit

कृष्ण कल्पित 

कवि-गद्यकार कृष्ण कल्पित का जन्म 30 अक्टूबर, 1957 को रेगिस्तान के एक क़स्बे फतेहपुर-शेखावाटी में हुआ। राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर से हिन्दी-साहित्य में प्रथम स्थान से एम.ए.। फ़िल्म और टेलीविज़न संस्थान, पुणे से फ़िल्म-निर्माण पर अध्ययन।

अध्यापन और पत्रकारिता के बाद भारतीय प्रसारण सेवा में प्रवेश। आकाशवाणी और दूरदर्शन के विभिन्न केन्द्रों पर कार्य करने के बाद 2017 में दूरदर्शन महानिदेशालय से अपर महानिदेशक (नीति) पद से सेवामुक्त।

कविता की सात किताबें प्रकाशित हैं—भीड़ से गुज़रते हुए (1980), बढ़ई का बेटा (1990), कोई अछूता सबद (2003), एक शराबी की सूक्तियाँ (2006) बाग़-ए-बेदिल (2013), वापस जानेवाली रेलगाड़ी (2021) और रेख़्ते के बीज और अन्य कविताएँ (2022), इनके अत‌िरिक्त उनकी अन्य प्रमुख कृतियाँ हैं—हिन्दनामा : एक महादेश की गाथा (2019)। हिन्दी का प्रथम काव्यशास्त्र कविता-रहस्य (2015)। सिनेमा, मीडिया पर छोटा पर्दा बड़ा पर्दा (2003)।

मीरा नायर की बहुचर्चित फ़िल्म ‘कामसूत्र’ में भारत सरकार की ओर से सम्पर्क अधिकारी। ऋत्विक घटक के जीवन पर एक वृत्तचित्र ‘एक पेड़ की कहानी’ का निर्माण (1997)। साम्प्रदायिकता के विरुद्ध ‘भारत-भारती कविता-यात्रा’ के अखिल भारतीय संयोजक (1992)। समानान्तर साहित्य उत्सव (2018) के संस्थापक संयोजक।

कविता, कहानियों के अंग्रेज़ी समेत कई भारतीय भाषाओं में अनुवाद। ‘निरंजननाथ आचार्य सम्मान’ और ‘मेजर रामप्रसाद पोद्दार सम्मान’ सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित।

इन दिनों जयपुर में रहते हुए स्वतंत्र लेखन।

ई-मेल : krishnakalpit@gmail.com

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