Hindi Sahitya : Srishti Aur Drishti

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Hindi Sahitya : Srishti Aur Drishti
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आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने अपने वक्तव्य में कहा है, 'हमें अपनी दृष्टि से दूसरे देशों के इतिहास को देखना होगा, दूसरे देशों की दृष्टि से अपने इतिहास को नहीं।'
इस दृष्टि से 'राष्ट्रीयता की भारतीय अवधारणा' तथा 'राष्ट्रीय चेतना' को देखा जा सकता है। पश्चिम में राष्ट्रीयता को जिस रूप में परिभाषित किया जाता रहा है, भारतीय परम्परा में उससे भिन्न अवधारणा विकसित हुई है। जहाँ पश्चिम की राष्ट्रीयता राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति करती है वहीं भारत में राष्ट्रीयता की अवधारणा सांस्कृतिक उद्देश्यों से परिचालित है और उसका अधिष्ठान आध्यात्मिक है।
पुस्तक में छायावादी कवियों में सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला को वामपंथी खाँचों के भीतर मूल्यांकित करने के प्रयास हुए हैं जबकि निराला को समग्रता में पढ़ा जाय तो स्पष्ट होता है कि उनका साहित्य भारतीय परम्परा का पुनराख्यान और विकास है।
सच्चिदानन्द वात्स्यायन अज्ञेय, निर्मल वर्मा तथा रमेशचन्द्र शाह स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद के ऐसे विचारक रचनाकार हैं, जिन्होंने पश्चिम के बौद्धिक जगत के समक्ष भारतीय चिन्तन परम्परा के वैशिष्ट्य को आत्मविश्वास के साथ आधुनिक परिप्रेक्ष्य में रखा।
भारतीय ज्ञान एवं साधना परंपरा के वैशिष्ट्य को रूपायित करने और सम्पूर्ण भारतीय समाज को दिशा देने में नाथपंथ तथा उसके प्रवर्तक के रूप में महायोगी गुरु गोरखनाथ का सर्वाधिक योगदान है।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय भारतीय राजनीति के विरले ऐसे शिखर पुरुष रहे हैं, जिनके चिंतन की दिशा पश्चिमोन्मुख नहीं रही है, उनपर भारतीय अद्वैत दर्शन का गहरा प्रभाव है। इसलिए इस पुस्तक में उनके व्यक्तित्व और कृतित्व को विवेचन का विषय बनाया गया है। भारतेन्दु-युग के तेजस्वी रचनाकार राधाचरण गोस्वामी और द्विवेदी युग के महत्त्वपूर्ण कवि अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध' के रचनाकार व्यक्तित्व से सम्बन्धित आलेख को इस पुस्तक में स्थान दिया गया है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2022
Edition Year 2022, Ed. 1st
Pages 196p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1.5

Author: Sadanand Prasad Gupt

प्रो. सदानन्दप्रसाद गुप्त

जन्म : 19 फरवरी, 1952, मकडीहा (गिरिडीह-झारखंड)।  
शिक्षा : एम.ए., पी-एच.डी. (हिन्दी) दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय।
गतिविधियाँ : संयोजक हिन्दी भाषा समिति, के.के. बिड़ला फाउंडेशन, नई दिल्ली (1998 से 2000)
सदस्य : अखिल भारतीय साहित्य परिषद न्यास, नई दिल्ली।
प्रमुख प्रकाशित पुस्तकें : हिन्दी साहित्य : विविध परिदृश्य, राष्ट्रीय अस्मिता और हिन्दी साहित्य, वैचारिक स्वराज और हिन्दी साहित्य, हिन्दी साहित्य : विविध आयाम  इत्यादि।
सम्पादित पुस्तकें : संस्कृति का कल्पतरु : कल्याण, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, निर्मल वर्मा का रचना संसार, अज्ञेय : सृजन के आयाम, राष्ट्रीयता के अनन्य साधक महंत अवेद्यनाथ, संस्कृति संवाद, राष्ट्र संत महन्त अवेद्यनाथ।
सम्पादन : समन्वय (साहित्यिक पत्रिका) 2000- 2012, साहित्य भारतीय (2011 से अद्यतन)
पुरस्कार : साहित्य-कृति सम्मान, सुब्रह्मण्य भारती पुरस्कार से सम्मानित।
सम्प्रति : कार्यकारी अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान।
पता : पारिजात , 65 आई, जंगल सालिकराम, गोरखपुर-273014 (उत्तर प्रदेश)
ई-मेल : gupta sada and52 @gmail.com

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