Hindi Patrakarita Ka Pratinidhi Sankalan

You Save 15%
Out of stock
Only %1 left
SKU
Hindi Patrakarita Ka Pratinidhi Sankalan

हिन्दी पत्रकारिता की डेढ़ सदी की यात्रा को एक पुस्तक में समाहित करने का यह प्रयास सराहनीय है। देश और समाज के निर्माण में हिन्दी पत्रकारिता की अपनी एक विशिष्ट और महती भूमिका रही है। यह संकलन न केवल महत्त्वपूर्ण सम्पादकों व पत्रकारों की लेखनी से परिचय कराता है, बल्कि पत्रकारिता के वास्तविक व आदर्श स्वरूप का एक प्रामाणिक दस्तावेज़ भी प्रस्तुत करता है। हिन्दी पत्रकारिता अपने उद्भव काल से अभी तक जिन-जिन पड़ावों से गुज़री है, उनका भी दिग्दर्शन इस संकलन में होता है।

यह संकलन हिन्दी पत्रकारिता के अध्ययन और अध्यापन से जुड़े वर्ग के लिए भी एक मानक सन्दर्भ पुस्तक सिद्ध होगी—ऐसा मेरा विश्वास है। इस वृहद् कालखंड को समूची समग्रता के साथ अपने भीतर समेटे हुए इस संकलन में सम्मिलित किए गए मूर्धन्य पत्रकारों के सम्पादकीय वस्तुतः देश, समाज और विश्व को समझने के लिए भी एक उजली खिड़की उपलब्ध कराते हैं।

—भीष्म नारायण सिंह

(भूतपूर्व राज्यपाल एवं केन्द्रीय मंत्री)

 

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2010
Edition Year 2010, Ed. 1st
Pages 550P
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 3
Write Your Own Review
You're reviewing:Hindi Patrakarita Ka Pratinidhi Sankalan
Your Rating
Tarushikha Surjan

Author: Tarushikha Surjan

तरुशिखा सुरजन

देशबन्धु समूह के वेब एवं नया मीडिया की सम्पादक हैं। मॉस्को (रूस) से टेलीकाम इंजीनियरिंग में एम.टेक की डिग्री हासिल करने के बाद वे भारत लौट आईं और देशबन्धु प्रकाशन विभाग से सम्बद्ध रहीं। इस दौरान कई महत्त्वपूर्ण सन्दर्भ-ग्रन्थों का उन्होंने सम्पादन किया, जिनमें प्रमुख हैं : ‘छत्तीसगढ़ के तीर्थ एवं पर्यटन स्थल’, ‘सन्दर्भ छत्तीसगढ़’, ‘छत्तीसगढ़ : ब्यूटीफुल एंड बाउंटीफुल’ (अंग्रेज़ी में), ‘महिला सन्दर्भ’, ‘रचना बिरादरी’ आदि।

तरुशिखा ने राष्ट्रीय जन-वकालत अध्ययन केन्द्र (एनकास), पुणे के लिए ‘सामाजिक कार्यकर्ता और मीडिया’ नामक पुस्तक लिखी। इसके अतिरिक्त वे भारतीय सांस्कृतिक निधि (इंटैक) तथा छत्तीसगढ़ की जल बिरादरी जैसी संस्थाओं से भी जुड़ी रहीं। इंटैक के लिए उन्होंने रायपुर, छत्तीसगढ़ व देव बलौदा पर सन्दर्भ-सामग्री तैयार की। साथ ही इंटैक व जल बिरादरी के जर्नल्स का सम्पादन भी किया।

Read More
Books by this Author
Back to Top