सच, अपने आपमें कितना कुछ समेटे हुए है महिला कथा-लेखन। संवेदना के सजल-तरल मौक्तिकों की द्युति! मानवीय सुख-दुख को महसूसने की अपूर्व ग्राही शक्ति! मानव-हृदय की अथाह गहराइयों में प्रविष्ट होकर नए, अछूते और अलभ्य भाव-रत्नों को तलाशने की पैनी दृष्टि! घर-परिवार के सारे दायित्वों को समेटते हुए और कभी-कभी तो घर-बाहर के दोहरे उत्तरदायित्व को वहन करते हुए भी अपने भीतर घुमड़ती 'चीख' को शब्दबद्ध करने की विनम्रता का नाम ही महिला-लेखन है। समाज में चतुर्दिक व्याप्त विषमताएँ और विसंगतियाँ जब चाहे-अनचाहे किसी महिला के संवेदनशील कलाकार मन तक पहुँचकर उसे आंदोलित करती हैं, तो वह उन्हें वाणी देने को बाध्य हो जाती है। महिला उपन्यासकारों की रचना-सृष्टियों में उकेरी गई संवेदना का साक्षात्कार है प्रस्तुत ग्रंथ।
Language | Hindi |
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Binding | Hard Back |
Publication Year | 1999 |
Edition Year | 2023, Ed. 2nd |
Pages | 279p |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publisher | Radhakrishna Prakashan |
Dimensions | 22.5 X 14.5 X 3 |