Gurda Rog Kidni Ke Rog

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Gurda Rog Kidni Ke Rog
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गुर्दा के रोगग्रस्त होने की जानकारी मिलते ही प्रभावित व्यक्ति एवं उसके शुभचिन्तक भयग्रस्त हो जाते हैं। उन्हें लगता है, बीमारी लाइलाज होगी एवं व्यक्ति की आयु सीमित होगी। परन्तु वर्तमान समय में उपलब्ध जानकारियों एवं आधुनिक चिकित्साशास्त्र के उपायों ने इस अवधारणा को मिथ्या सिद्ध कर दिया है। सही निदान, उपचार एवं सावधानी बरत कर गुर्दा रोगी भी स्वस्थ एवं दीर्घायु हो सकता है।

यद्यपि शरीर में दो गुर्दे होने के बावजूद जीवनयापन के लिए एक गुर्दा ही काफ़ी है परन्तु हमें लापरवाह नहीं होना चाहिए। यदि हम सावधानी रखें, दवाओं का उपयोग सोच-समझ कर चिकित्सकों की सलाह से करें तो गुर्दों की कष्टदायक बीमारियों से बचा जा सकता है और अगर रोग हो भी जाए तो उसका उचित उपचार गुर्दा विशेषज्ञ की सहायता से सम्भव है। हमें मन से यह भय एवं चिन्ता निकाल देनी चाहिए कि गुर्दा रोग हो जाने पर जीवन सीमित एवं कष्टमय हो जाता है, या गुर्दा रोग लाइलाज होता है।

डॉ. प्रदीप कुमार अग्रवाल ने इस पुस्तक में गुर्दा रोगों के बारे में विस्तृत वैज्ञानिक एवं तथ्यपरक जानकारी सरल भाषा में दी है, जिससे आम पाठक भी सुगमतापूर्वक समझ सकें और व्यावहारिक लाभ उठा सकें। आज के युग में किसी भी विषय की समझ, जानकारी या ज्ञान व्यक्ति के लिए अमूल्य धन के समान है। डॉ. अग्रवाल का प्रयास प्रशंसनीय है एवं गुर्दा रोगियों के लिए अति लाभकारी है।

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Language Hindi
Format Paper Back
Edition Year 2018, Ed. 3rd
Pages 128p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
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Pradeep Kumar Agarwal

Author: Pradeep Kumar Agarwal

डॉ. प्रदीप कुमार अग्रवाल

जन्म : 1958, गढ़वा (झारखंड)

शिक्षा : प्रारम्भिक शिक्षा नेतरहाट आवासीय विद्यालय, नेतरहाट; एम.बी.बी.एस. (1981), एम.डी. मेडिसिन (1986), एम.डी. रेडियोलॉजी (1988), पटना चिकित्सा महाविद्यालय, पटना से।

पूर्व स. प्राध्यापक (रेडियोलोजी), राजेन्द्र मेडिकल कॉलेज, राँची।

कार्य : इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान, पटना के रेडियोलोजी विभाग की स्थापना में महत्त्वपूर्ण योगदान। हिन्दी चिकित्सा सम्बन्धी लेखों के अलावा कुछ कहानियाँ भी प्रकाशित।

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