Gramsevika

Author: Amarkant
Edition: 2023, Ed. 4th
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Gramsevika
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दमयन्ती के दिल में एक आग जल रही थी। वह साहस, संघर्ष और कर्मठता का जीवन अपनाकर अपने दु:ख, निराशा और अपमान का बदला उस व्यक्ति से लेना चाहती थी, जिसने दहेज के लालच में उसे ठुकरा दिया था।

उस दिन वह ख़ुशी से चहक उठी, जब उसे नियुक्ति-पत्र मिला। उसकी ख़ुशी का एक यह भी कारण था कि उसे गाँव की औरतों की सेवा करने का मौक़ा मिला था। जब पढ़ती थी, तो उसकी यह इच्छा रही थी कि वह अपने देश के लिए, समाज के लिए कुछ करे। आज उसका सपना साकार होने चला था।

परन्तु गाँव में जाकर उसे कितना कटु अनुभव हुआ था!

उस गाँव में न कोई स्कूल था और न ही अस्पताल। रूढ़िवादी संस्कारों और अन्धविश्वासों की गिरफ़्त में छटपटाते लोग थे, जिन्हें पढ़ाई-लिखाई से नफ़रत थी। उनका विश्वास था कि पढ़ाई-लिखाई से ग़रीबी आएगी। भला अपने बच्चों को वे भिखमंगा क्यों बनाएँ? भगवान ने सबको हाथ-पैर दिए हैं। टोकरी बनाकर शहर में बेचो और पेट का गड्ढा भरो।

इस अज्ञानता के कारण गाँव के ग़रीब लोग जहाँ धर्म के ठेकेदारों के क्रिया-कलापों से आक्रान्त थे, वहीं जोंक की तरह ख़ून चूसनेवाले सूदख़ोरों के जुल्मों से उत्पीड़ित भी।

इसके बावजूद दमयन्ती ने हार नहीं मानी। अपने लक्ष्य की राह को प्रशस्त करने की दिशा में जुटी रही—कि अचानक हरिचरन के प्रवेश ने ऐसी उथल-पुथल मचाई कि उसके जीवन की दिशा ही बदल गई।

गाँवों के जीवन पर आधारित अमरकान्त का बेहद संजीदा उपन्यास है : ग्रामसेविका! लेखक ने अपने इस उपन्यास में जहाँ गाँवों के लोगों की मूलभूत समस्याओं की ओर ध्यान आकर्षित किया है, वहीं गाँव के विकास के नाम पर बिचौलियों और सरकारी अधिकारियों की लूट-खसोट को बेबाक़ी से उजागर किया है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2008
Edition Year 2023, Ed. 4th
Pages 132p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1
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Amarkant

Author: Amarkant

अमरकान्त

जन्म : 1 जुलाई, 1925; ग्राम–भगमलपुर (नगरा), ज़िला–बलिया, (उ.प्र.)।

प्रकाशित कृतियाँ : उपन्यास–‘सूखा पत्ता’, ‘काले-उजले दिन’, ‘कँटीली राह के फूल’, ‘ग्रामसेविका’, ‘सुखजीवी’, ‘बीच की दीवार’, ‘सुन्नर पांडे की पतोह’, ‘आकाश पक्षी’, ‘इन्हीं हथियारों से’; कहानी-संग्रह : ‘ज़िन्दगी और जोंक’, ‘देश के लोग’, ‘मौत का नगर’, ‘मित्र-मिलन तथा अन्य कहानियाँ’, ‘कुहासा’, ‘तूफ़ान’, ‘कलाप्रेमी’, ‘एक धनी व्यक्ति का बयान’, ‘सुख और दुःख का साथ’, ‘प्रतिनिधि कहानियाँ’, ‘दस प्रतिनिधि कहानियाँ’, ‘अमरकान्त की सम्पूर्ण कहानियाँ’ (दो खंडों में); संस्मरण : ‘कुछ यादें, कुछ बातें’; बाल-साहित्य : ‘नेऊर भाई’, ‘वानर सेना’, ‘खूँटा में दाल है’, ‘सुग्गी चाची का गाँव’, ‘झगरू लाल का फ़ैसला’, ‘एक स्त्री का सफ़र’, ‘मँगरी’, ‘बाबू का फ़ैसला’, ‘दो हिम्मती बच्चे’।

पुरस्कार व सम्मान : ‘ज्ञानपीठ पुरस्‍कार’, ‘साहित्य अकादेमी पुरस्‍कार’, ‘व्‍यास सम्‍मान’, ‘सोवियतलैंड नेहरू पुरस्कार’, ‘मैथिलीशरण गुप्त पुरस्कार’, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का पुरस्कार, ‘यशपाल पुरस्कार’, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग का सम्मान, ‘जन-संस्कृति सम्मान’, मध्य प्रदेश का ‘अमरकान्त कीर्ति सम्मान’ आदि से सम्‍मानित।

विशेष : विदेशी भाषाओं, प्रादेशिक भाषाओं, पेंग्विन इंडिया में कहानियाँ प्रकाशित, दूरदर्शन पर कहानियों पर फ़िल्में प्रदर्शित, रंगमंच पर कहानियों के नाट्य-रूपान्तरों का प्रदर्शन।

निधन : 17 फरवरी, 2014

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