Gondvana Ki Lokkathayen

Author: Vijay Chourasia
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Gondvana Ki Lokkathayen
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आदिवासी अंचलों में शिक्षा के प्रति रुचि जाग्रत करने हेतु रोचक साहित्य उपलब्ध कराया जाता रहा है। उसी शृंखला में बैगा एवं गोंड जनजातियों की बहुचर्चित लोककथाओं के संग्रह को यहाँ प्रकाशित किया जा रहा है।

गोंड तथा बैगा जनजाति के अनेक पहलू अभी भी शेष समाज के लिए अविदित हैं। इनकी प्रथाएँ, परम्पराएँ, धार्मिक आस्थाएँ, कला, लोक-नृत्य एवं संगीत आदि हममें न केवल कौतूहल उत्पन्न करते हैं, बल्कि हमें आह्लादित भी करते हैं। इनके साथ-साथ इस जनजाति के पास विशिष्ट लोककथाओं, गाथाओं, किंवदन्तियों एवं मिथकों आदि का भी विपुल भंडार है जो एक धरोहर के रूप में पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तान्तरित होते हुए सदियों से अक्षुण्ण चला आ रहा है। इनकी कथाओं में जहाँ समाज के स्वरूप, संगठन एवं सामाजिक आस्थाओं के दर्शन होते हैं, वहीं ये व्यक्ति व समाज को सृष्टि तथा सृष्टि के रचयिता के साथ भी जोड़ती हैं।

गोंड एवं बैगा जनजाति की लोककथाओं के अकूत भंडार में से कुछ रोचक लोककथाएँ यहाँ प्रस्तुत की जा रही हैं। यह कार्य भरपूर परिश्रम, अनन्य आस्था और परिपूर्ण शोधवृत्ति से किया गया है। आशा है, जनजातीय संस्कृति में रुचि रखनेवालों और सुधी पाठकों को यह प्रयास अवश्य पसन्द आएगा।

 

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2008
Edition Year 2019, Ed. 3rd
Pages 332p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 2
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Vijay Chourasia

Author: Vijay Chourasia

विजय चौरसिया

जन्म : ग्राम—बंडा, ज़िला—कटनी (मध्य प्रदेश)।

शिक्षा : बीएस.सी., बी.ए.एम.एस., डी.एच.बी.।

उपलब्धियाँ : विगत कई वर्षों से मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ राज्य की लोककलाओं एवं लोकनृत्यों के संरक्षण एवं विकास के लिए प्रयासरत; मध्य प्रदेश तथा देश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं जैसे—‘कादम्बनी’, ‘धर्मयुग’, ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’, ‘दिनमान’, ‘इंडिया टुडे’, ‘दैनिक भास्कर’, ‘नवभारत’, ‘नई दुनिया’ में एक हज़ार से अधिक लेखों का प्रकाशन; मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ में करीब 30 लोकनाट्य एवं लोकनर्तक दलों का नेतृत्व; प्रकृति पुत्र बैगा तथा ‘रामायनी लक्षमन जी की सत परीच्छा’ का मध्य प्रदेश हिन्दी ग्रन्थ अकादमी, भोपाल द्वारा प्रकाशन; मध्य प्रदेश की प्रसिद्ध जनजाति गोंड में प्रचलित गोंड राजाओं के इतिहास का साक्ष्य बाना गीत पर आधारित ग्रन्थ आख्यान मध्य प्रदेश आदिवासी लोककला अकादमी द्वारा प्रकाशित; मध्य प्रदेश की प्रसिद्ध समाजसेवी संस्था वीर सावरकर लोककला परिषद में निर्देशक; स्वराज संस्थान संचालनालय संस्कृति विभाग, भोपाल द्वारा स्वाधीनता फ़ेलोशिप 2006-07 (‘आदिवासी लोकगीतों में सामाजिक एवं राजनीतिक चेतना’ विषय पर प्रदान की गई); मध्य प्रदेश के लोकनृत्य एवं लोककलाओं का देश-विदेश में प्रदर्शन।

सम्प्रति : चिकित्सा कार्य, पत्रकारिता, लोक-संस्कृति पर लेखन, प्रदेश के लोक-नृत्यों एवं लोक-संस्कृति के संरक्षण हेतु प्रयासरत।

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