यह पुस्तक मोहन राकेश की कुछ आरम्भिक-अज्ञात कुछ अल्प-ज्ञात, कुछ आधी-अधूरी और कुछ पूरी-परिपक्व एवं चर्चित, किन्तु पुस्तक रूप में अब तक अप्रकाशित, लगभग सम्पूर्ण रचनाओं का अनूठा संकलन है। इसमें छपे आत्म-कथ्य, साक्षात्कार, नाट्य-लेख, एकांकी, उपन्यास, कहानी, संस्मरण, डायरी, पत्र, फ़िल्मालेख, ध्वन्यावलोकन-प्रयोग, निबन्ध, समीक्षा, कविता और बाल-साहित्य के माध्यम से राकेश के बहुआयामी व्यक्तित्व एवं कृतित्व के अनेक पहलू पहली बार एक साथ उद्घाटित हुए हैं।
यह पुस्तक राकेश के रोमांचक जीवन-वृत्त के प्रामाणिक प्रस्तुतीकरण के साथ-साथ 1941 में लिखे, उनके सर्वप्रथम एकांकी ‘समझ का फेर’ से लेकर 1970-72 में नेहरू फ़ेलोशिप के दौरान लिखे गए शोध-लेख ‘शब्द और ध्वनि’ तथा यात्रा-संस्मरण ‘मक़बरे और आज’ तक उनके लगभग सम्पूर्ण रचना-जीवन का व्यापक प्रतिनिधित्व करती है। कश्मीर की रोमानी पृष्ठभूमि पर आधारित राकेश का चर्चित किन्तु अप्रकाशित उपन्यास ‘काँपता हुआ दरिया’ झेलम के माँझियों के संघर्षपूर्ण जीवन का रोचक वास्तविक और मार्मिक चित्र प्रस्तुत करता है तो उनकी डायरियों एवं फ़ाइलों से प्राप्त अछूती सामग्री उनकी जटिल रचना-प्रक्रिया को समझने में सहायक सिद्ध हो सकती है। हमें विश्वास है कि ‘एकत्र' की बहुरंगी रचनाएँ प्रबुद्ध पाठकों, आलोचकों, शोधार्थियों एवं साहित्य के इतिहासकारों को आधुनिक हिन्दी साहित्य की ऐसी दुर्लभ, मनोरंजक और महत्त्वपूर्ण सामग्री उपलब्ध कराएँगी, जिससे राकेश के कृति-व्यक्तित्व का सम्पूर्ण और सच्चा आकलन एवं पुनर्मूल्यांकन किया जा सकेगा।
Language | Hindi |
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Binding | Hard Back |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publication Year | 1998 |
Edition Year | 2019, Ed. 3rd |
Pages | 530p |
Price | ₹1,450.00 |
Publisher | Radhakrishna Prakashan |
Dimensions | 22.2 X 14.6 X 5 |