Ek Doosra Alaska

Author: Anita Rakesh
Edition: 2002, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Radhakrishna Prakashan
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Ek Doosra Alaska

अनीता ने कहानी-लेखन की शुरुआत उन दिनों की थी, जब कहानी अनुभव की प्रामाणिकता को अपना अभीष्ट मानती थी, लेकिन इसे अनीता की जागरूकता ही माना जाएगा कि आज, जबकि कहानी अनुभव की प्रामाणिकता नहीं, अनुभव के अर्थों को विश्लेषित करती है, वह समय-सापेक्ष कहानियाँ लिख रही हैं। उनकी पहले की कहानियों—‘लाल परांदा’, ‘न जाने क्यों’, ‘चरागाहों के बाद’ आदि में ‘नई कहानी’ का हैंग-ओवर ज़रूर मौजूद है, लेकिन इन्हीं के समानान्तर ‘दिन से दिन’ और ‘बेग़ज़ल’ जैसी कहानियों में वह निजी शिनाख़्त भी मौजूद है, जो उन्हें आज के समान्तर लेखन से जोड़ देती है।

अनीता की इधर की कहानियों में व्यक्ति के अकेले पड़ जाने का एहसास तीव्र हुआ है, लेकिन इसके साथ ही हमारे आसपास जो ग़लत और गलित है, जो कुछ रुग्ण और रूढ़िगत है, उसके प्रति नकार का स्वर भी उभरा है। इस नकार के स्वर ने अनीता की कहानियों को संश्लिष्टता तो दी ही है, एहसास की तल्ख़ी भी दी है। अब वह पात्रों और उनकी स्थितियों पर चुटकी लेने के बजाय उनकी मानसिकता में गहरे उतरने का प्रयास करती हैं। अनीता की कहानियों की सबसे बड़ी सफलता यही है कि वे इस मानसिकता को समय-सापेक्ष सत्य की कसौटी पर लगातार कसती हैं और आज के आदमी को उसकी अन्दरूनी और बाहरी शक्ल का सही साक्षात्कार कराती हैं।

—कमलेश्वर

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Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2002
Edition Year 2002, Ed. 1st
Pages 171p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1
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Anita Rakesh

Author: Anita Rakesh

अनीता राकेश

जन्म : 3 अगस्त, 1941; लाहौर में।

शिक्षा : आरम्भिक शिक्षा मसूरी के हैम्प्टन कोर्ट स्कूल में, बाद में बी.ए., बीएड.।

कुछ वर्ष स्प्रिंगडेल और मॉडर्न स्कूल में पढ़ाया।

दूरदर्शन पर दिखाए जा रहे 'पत्रकारिता’ प्रोग्राम की नींव कमलेश्वर जी और अनीता जी ने डाली थी, और काफ़ी दूर तक चलाया था। उन दिनों प्रोग्राम लाइव व चुनौतीपूर्ण हुआ करते थे।...और वह प्रोग्राम आज तक सफलतापूर्वक चल रहा है।

प्रकाशित कृतियाँ : ‘चन्द सतरें और’, ‘सतरें और सतरें’, ‘अन्तिम सतरें’, ‘अतिरिक्‍त सतरें’ (आत्मकथ्य); ‘एक दूसरा अलास्का’ (कहानी-संग्रह); ‘गुरुकुल—1’, ‘गुरुकुल—2’ (उपन्यास)।

हेनरी जेम्स की पुस्तक ‘पोट्रैट ऑफ़ लेडी’ तथा एडिता मॉरेस की पुस्तक ‘फ़्लावर ऑफ़ हिरोशिमा’ का हिन्दी में अनुवाद।

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