Dehari Ka Man

Author: Prabha Thakur
Edition: 2013, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
As low as ₹297.50 Regular Price ₹350.00
15% Off
In stock
SKU
Dehari Ka Man
- +
Share:

‘देहरी का मन’ संवेदनशील व विचारप्रवण कविताओं के लिए चर्चित डॉ. प्रभा ठाकुर का महत्त्वपूर्ण कविता-संग्रह है। इन कविताओं में निष्करुण सामाजिक यथार्थ एवं व्यापक मानवतावाद से सम्बुद्ध मन का द्वन्द्व समाहित है। सभ्यता के चरण पार करते हुए समाज जिस पथ पर अग्रसर है, उसका लक्ष्य क्या है—इस नाभिक से छिटके प्रश्न ‘देहरी का मन’ में पाठक से संवाद करते हैं। इस संग्रह से यह भी आभास होता है कि प्रभा ठाकुर की रचनात्मक यात्रा कितनी वैविध्यपूर्ण है। ‘अपनी बात’ में वे कहती हैं, “कुछ फूल चुनकर भरे थे आँचल में, पता ही नहीं चला कैसे कुछ काँटे भी ख़ुद-ब-ख़ुद ही साथ चले आए। फूल तो मुरझाकर बिखर भी गए, किन्तु काँटे सूखकर और भी पैने और सख़्त हो गए हैं। वैसे भी इतने वर्षों की जीवन-यात्रा के बाद, उम्र के इस पड़ाव पर पहुँचकर, यही सोचती हूँ, कहाँ खड़ी हूँ मैं? किसी शिखर पर, ढलान पर या फिर हाशिए पर...!’’ आत्ममूल्यांकन की यह सघन प्रक्रिया सामाजिक विसंगतियों की पहचान का प्रखर माध्यम बनती है। गीतात्मक अभिव्यक्तियाँ स्मृतियों और अनुभूतियों के सम्मिश्रण से मोहक परिवेश रच देती हैं। इन पंक्तियों में जीवन का एक बड़ा सच झाँक रहा है : ‘रेत का बना था घर, बार-बार टूटा/कच्चा रंग रिश्तों का बार-बार छूटा/आँगन से पनघट तक, काई ही काई/माटी का घट भरकर, बार-बार फूटा/अपना ही हवन करें और एक बार।’ समकालीन हिन्दी कविता (विशेषकर गीत-कविता) में प्रभा ठाकुर की ये रचनाएँ उन्हें विशिष्ट सिद्ध करती हैं। भाषा, छन्द, संरचना और स्वभाव की दृष्टि से ‘देहरी का मन’ एक प्रीतिकर और संग्रहणीय संग्रह है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2013
Edition Year 2013, Ed. 1st
Pages 208p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.5
Write Your Own Review
You're reviewing:Dehari Ka Man
Your Rating

Author: Prabha Thakur

प्रभा ठाकुर

जन्म : 10 सितम्बर, 1951

शिक्षा : एम.ए., पीएच.डी. (हिन्दी साहित्य), उदयपुर विश्वविद्यालय, राजस्थान।

सुविख्यात कवयित्री एवं संसद-सदस्य राज्यसभा।

हिन्दी की साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं—‘साप्ताहिक-हिन्दुस्तान’, ‘धर्मयुग’, ‘कादम्बिनी’ आदि में समय-समय पर रचनाओं का प्रकाशन तथा आकाशवाणी एवं दूरदर्शन आदि से प्रसारण।

भारत एवं विदेशों में आयोजित अनेक काव्य-गोष्ठियों एवं हिन्दी कवि-सम्मेलनों में भागीदारी। सदस्य—महाबोधि सोसायटी ऑफ़ इंडिया। बौद्ध-धर्म के माध्यम से विश्व शान्ति एवं सद्भावना के लिए कार्यरत। सामाजिक कार्यकर्ता एवं सांसद के रूप में स्त्रियों एवं बच्चों से जुड़े कार्यक्षेत्र में विशेष प्रयासरत।

कुछ हिन्दी फ़िल्मों में भी गीत लेखन।

लघु फ़िल्म—‘गोरा हट जा’, राजस्थानी फीचर फ़िल्म ‘बीनणी होवे तो इसी’, हिन्दी फीचर फ़िल्म ‘जय महालक्ष्मी माँ’ तथा ‘कच्ची सड़क’ का निर्माण एवं गीत-लेखन आदि।

प्रमुख कृतियाँ : ‘बौराया मन’, ‘आखर-आखर’, ‘चेतना के स्वर’, ‘देहरी का मन’ (कविता-संग्रह)।

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top