Dastangoi - 1

Edition: 2024, Ed. 2nd
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Dastangoi - 1
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दास्तान ज़बानी बयानिया है जिसे पेश करनेवाले दास्तानगो ज़बान, बयान, शायरी और क़िस्त के माहिर होते थे। दास्तानें बहुत-सी सुनाई गईं पर इनमें सबसे मशहूर हुई दास्ताने अमीर हमज़ा जिसमें हजरत मोहम्मद सः के चचा अमीर हमज़ा की ज़िन्दगी और उनके शानदार कारनामों को बयान किया जाता है।

18वीं और 19वीं सदी में जब ये दास्तान उर्दू में मक़बूल हुई तो इससे अदब और पेशकश का बेहतरीन मेल पैदा हुआ और इसमें कई ऐसी बातों का इज़ाफ़ा हुआ जो ख़ालिस हिन्दुस्तानी मिज़ाज की थीं। मसलन, तिलिस्म और अय्यारी जो बाद में दास्तानगोई का सबसे अहम हिस्सा साबित हुईं। बेशुमार क़िस्म के जानदार, सय्यारे सल्तनतें, तिलिस्म, जादूगर, देव, अय्यार, और अय्याराएँ जैसे किरदारों पर ‘मुश्तमिल दास्ताने-अमीर हमज़ा’ आख़िरकार 46 जख़ीम जिल्दों में पूरी होकर छपी और उर्दू अदब और हिन्दुस्तानी फनूने लतीफ़ा का मेराज साबित हुई।

दास्तानगोई का फ़न ज़बानी और तहरीरी दोनों शक़्लों में जिस वक़्त अपने उरूज पर पहुँचा तक़रीबन उसी वक़्त नए मिज़ाज और नए मीडिया की आमद के साथ बड़ी तेज़ी से इसका जवाल भी हुआ। आख़िरी दास्तानगो मीर बाक़र अली का इन्तकाल 1928 में हुआ और इसके साथ ही ये अजमी रवायत नापैद हो गई।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2012
Edition Year 2024, Ed. 2nd
Pages 256p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 2
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Mahmood Farooqui

Author: Mahmood Farooqui

महमूद फ़ारूकी

एक रोड्स स्कॉलर के रूप में भारत और ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय में इतिहास का अध्ययन किया। दास्तानगोई, उर्दू में कहने की कला, को पुनर्जीवित करने के लिए सक्रिय। व्यवसायी और शोधकर्ता के साथ सिनेमा, थिएटर, साहित्यिक उर्दू और भारतीय इतिहास में अपने विभिन्न सरोकारों हेतु जाने जाते हैं। कई उपलब्धियों के साथ फीचर फ़‍िल्म ‘पीपली लाईव’ का सह-निर्देशन भी। आपने भारत के प्रमुख समाचार-पत्रों और पत्रिकाओं में योगदान दिया है। आपने दास्तानगोई के 300 से अधिक शो नई दास्तानों के साथ प्रस्तुत किए हैं।

 

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