Das Hazar Crore Se Aage

Author: Sanjeev Chopra
Translator: Kiran Sood
Edition: 2024, Ed. 2nd
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Das Hazar Crore Se Aage

राज्य का सामाजिक एवं प्राकृतिक वातावरण औद्योगिक निवेश के अनुकूल है। ऐसे में उद्यमियों को राज्य की परिस्थितियों का लाभ उठाना चाहिए। संजीव चोपड़ा द्वारा लिखित पुस्तक से राज्य में निवेश करने के इच्छुक उद्यमियों को काफी मदद मिलेगी।

माननीय राज्यपाल, दैनिक जागरण; 1 जून, 2004

यह पुस्तक मुख्यमंत्री के नेतृत्व में 'टीम उत्तरांचल' द्वारा कई मुख्य क्षेत्रों में तीव्र औद्योगिक प्रगति का सरल एवं ईमानदार विवरण है।

माननीय राज्यपाल, हिन्दुस्तान टाइम्स; 1 जून, 2004

पुस्तक ने औद्योगिक परिषदों के समन्वयात्मक प्रयासों का अभिलेखन किया है, जिससे राज्य आज प्रगति की उड़ान के लिए तत्पर है।

एलाइन्स दर्पण; जुलाई 15-अगस्त 15, 2004

लेखक ने औद्योगिक विकास की प्रक्रिया में राज्य द्वारा चुनौतियों का सामना करने और मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी द्वारा परिकल्पित प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन के विषय में सविस्तार लिखा है। उद्योग विभाग का जोर था कि राज्य में मजबूत अर्थतन्त्र की स्थापना हो और साथ ही युवा लोगों को रोजगार मिले।

द पायानियर; 2 जून, 2004

‘दस हजार करोड़’ राज्य के लिए सामाजिक-आर्थिक लक्ष्य निर्धारित करती है, जो भावी नियोजकों और विकासकर्ताओं एवं प्रशासकों के लिए निर्देश सिद्ध होंगे।

द टाइम्स ऑफ इंडिया; 19 जून, 2004

डायरी स्वरूप में लिखित पुस्तक में नीति-निर्धारण की प्रक्रिया और उसमें संलग्न व्यक्तियों का रोचक विवरण होता है। इस संदर्भ में ‘दस हजार करोड़ से आगे’  पूर्णरूपेण सफल है।

गढ़वाल पोस्ट; 6-12 जून, 2004

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2005
Edition Year 2024, Ed. 2nd
Pages 171p
Translator Kiran Sood
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1.5
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Sanjeev Chopra

Author: Sanjeev Chopra

संजीव चोपड़ा

संजीव चोपड़ा का जन्म 3 मार्च, 1961 को हुआ। वे छत्तीस वर्षों तक भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) में सेवारत रहने के बाद मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी के निदेशक पद से सेवानिवृत्त हुए। ह्यूबर्ट एच. हम्फ़्री फ़ेलोशिप (कॉर्नेल) तथा रॉबर्ट एस. मैक्नमरा फ़ेलोशिप (वर्ल्ड बैंक) धारक हैं। उन्होंने रॉयल एशियाटिक सोसाइटी, लन्दन और लक्ष्मी मित्तल एंड फ़ैमिली साउथ एशिया इंस्टिट्यूट (हार्वर्ड) एवं यूएसआई, नई दिल्ली में महत्त्वपूर्ण पदों पर सेवाएँ दी हैं। वर्तमान में यूपीईएस में लोक नीति तथा स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय में इतिहास और लोक नीति के प्रोफ़ेसर हैं। साथ ही दून विश्वविद्यालय में एनटीपीसी चेयर प्रोफ़ेसर के सलाहकार समूह के प्रमुख का दायित्व भी निभा रहे हैं। वे बांग्लादेश, मालदीव, भूटान, कंबोडिया और अफ़्रीकी देशों के सिविल सेवकों के लिए आयोजित किये जाने वाले, विदेश मंत्रालय द्वारा प्रायोजित एनसीजीजी (नेशनल सेंटर फ़ॉर गुड गवर्नेंस) के प्रशिक्षण कार्यक्रमों में नियमित वक्ता हैं। वर्तमान में देहरादून में रहते हैं और बतौर फ़ेस्टिवल डायरेक्टर वैली ऑफ़ वर्ड्स साहित्य एवं कला महोत्सव का हर वर्ष नवम्बर माह में आयोजन करते हैं।

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