Corporate Media : Dalal Street

Author: Dilip Mandal
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Corporate Media : Dalal Street
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राडिया कांड मीडिया की ताक़त और उसकी ख़ामी, दोनों को एक साथ दर्शाता है। ताक़त इस बात की कि मीडिया जनमत बना सकता है, जनमत को बदल सकता है, लोगों के सोचने के एजेंडे तय करता है और ख़ामी यह कि मीडिया पैसों के आगे किसी बात की परवाह नहीं करता। मीडिया को पैसेवाले पैसा कमाने के लिए और ताक़त के लिए चलाते हैं। इसलिए इसके दुरुपयोग की आशंका इसकी संरचना और स्वामित्व के ढाँचे में ही दर्ज है।

राडिया कांड से यह ज़गज़ाहिर हो गया कि ख़ासकर ऊँचे पदों पर मौजूद मीडियाकर्मी पैसे और प्रभाव के इस खेल में हिस्सेदार बन चुके हैं। पिछले 20 वर्षों में मीडियाकर्मियों के मालिक बनने की प्रक्रिया भी तेज़ हुई है। कुछ सम्पादक तो मालिक बन ही गए हैं। इसके अलावा भी मीडिया संस्थानों में मध्यम स्तर पर काम करनेवाले पत्रकारों तक को कम्पनी के शेयर दिए जाते हैं। कोई भी व्यक्ति, चाहे वह पत्रकार ही क्यों न हो, उस कम्पनी या उस व्यवसाय के विरुद्ध काम क्यों करेगा जिसमें उसके शेयर हों? इस तरह पत्रकारों की प्रतिबद्धता को नए ढंग से परिभाषित कर दिया जाता है। पत्रकारों का ईमानदार या बेईमान होना अब उनकी निजी पसन्द का ही मामला नहीं रहा। कोई पत्रकार अपनी मर्ज़ी से ईमानदार नहीं रह सकता। यह बात कई लोगों को तकलीफ़देह लग सकती है। राडिया कांड ने मीडिया को सचमुच गहरे ज़ख़्म दिए हैं।

—इसी पुस्तक से

 

More Information
Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2011
Edition Year 2023, Ed. 3rd
Pages 224p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 2
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Dilip Mandal

Author: Dilip Mandal

दिलीप मंडल

दिलीप मंडल पेशेवर संचारकर्मी हैं। देश के दस से अधिक प्रमुख मीडिया घरानों से लगभग दो दशक तक जुड़े रहे दिलीप मंडल वैकल्पिक मीडिया में लगातार प्रयोग कर रहे हैं। वे कॉलेज के दिनों में ही छात्र और मज़दूर आन्दोलनों से जुड़े और झारखंड अलग राज्य आन्दोलन में भी शरीक रहे। पत्रकारिता का विधिवत् प्रशिक्षण टाइम्स सेंटर फ़ॉर मीडिया स्टडीज से हासिल किया। ‘दैनिक जागरण’ के दिल्ली संस्करण के साथ सांस्थानिक पत्रकारिता की शुरुआत। इसके बाद ‘जनसत्ता’ के कोलकाता संस्करण, ‘इंडिया टुडे’, दैनिक ‘अमर उजाला’ और ‘इंटर प्रेस सर्विस’ से जुड़कर प्रिंट की पत्रकारिता की। सम्पादन से लेकर चुनाव और संसदीय रिपोर्टिंग तथा प्रिंट माध्यम में लगभग 10 साल का सफ़र।

टीवी न्यूज़ चैनल ‘आज तक’, ‘ज़ी न्यूज़’ और ‘स्टार न्यूज़’ में एसोशिएट प्रोड्यूसर, असिस्टेंट एडिटर तथा सीनियर प्रोड्यूसर जैसे पदों पर रहे। देश के प्रमुख बिजनेस चैनल ‘सीएनबीसी आवाज़’ में एक्जिक्यूटिव प्रोड्यूसर एवं टाइम्स ऑफ़ इंडिया समूह के बिजनेस पोर्टल ‘इकनॉमिक टाइम्स डॉट कॉम’ में सम्पादक रहने के दौरान कॉरपोरेट दुनिया और मीडिया कारोबार को क़रीब से देखने का अनुभव।

अपेक्षाकृत महत्त्वपूर्ण काम सांस्थानिक पत्रकारिता से बाहर रहा। मीडिया घरानों में काम करने के दौरान और उसके बाद भी विकास, विस्थापन, जनस्वास्थ्य, शिक्षा नीति और सामाजिक-आर्थिक मुद्दों पर देश के प्रमुख समाचार-पत्रों में निरन्तर लेखन। प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में सैकड़ों सम्पादकीय आलेख प्रकाशित। अनेक पुस्तकों के लिए अध्याय लिखे। प्रमुख कृतियाँ हैं : ‘मीडिया का अंडरवर्ल्‍ड’, ‘चौथा खम्‍भा प्राइवेट लिमिटेड’, ‘जातिवार जनगणना : संसद, समाज और मीडिया’ आदि। एक अन्य पुस्तक ‘जातिवार जनगणना की चुनौतियाँ’ के सह-सम्पादक।

पत्रकारिता प्रशिक्षण से भी जुड़े रहे। ‘डायवर्सिटी मैन ऑफ़ द ईयर पुरस्‍कार’—2010 से सम्मानित।

पत्रकार, लेखक और मॉस कम्युनिकेशन के शिक्षक दिलीप मंडल लगभग ढाई दशक के अपने पेशेवर सफर में ‘जनसत्ता’, ‘अमर उजाला’, ‘इंडिया टुडे’, ‘आज तक’, ‘स्टार न्यूज’, ‘इकॉनोमिक टाइम्स’, ‘सीएनबीसी आवाज’ और ‘द प्रिंट’ समेत कई पत्र-पत्रिकाओं और न्यूज़ चैनलों से जुड़े रहे। ‘इंडिया टुडे’ के प्रबंध सम्पादक भी रहे। भारतीय जनसंचार संस्थान, दिल्ली और माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय, भोपाल में अध्यापन का कार्य भी किया। माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय में एडजंक्ट प्रोफेसर थे। ‘दिलीप मंडल की पाठशाला’ इनका चर्चित वीडियो कॉलम है। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के इंडिया कॉन्फ्रेंस, 2020 में व्याख्यान दे चुके हैं। उत्कृष्ट पत्रकारिता और मीडिया लेखन के लिए भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय तथा प्रेस कौंसिल से सम्मानित किए जा चुके हैं।

ईमेल : dilipcmandal@gmail.com

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