जापानी कथा-साहित्य की दुनिया में अलौकिक प्रसंगों के आधुनिक प्रवर्तक कोइज़ुमी याकुमो की छह बहु-चर्चित कहानियों को इस संकलन में शामिल किया गया है। इनमें पाठकों को न सिर्फ़ अलौकिक दुनिया में विचरण करने का मौक़ा मिलेगा, बल्कि जापान के ऐतिहासिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक पहलुओं को जानने-समझने का अवसर भी प्राप्त होगा।
1185 में घटित दान-नो-उरा के विध्वंसक युद्ध की पृष्ठभूमि में रचित ‘बिन कान का होइची’ युद्ध के विनाशकारी प्रभावों को बख़ूबी उभारती है। ‘बच्चों की रज़ाई’ दो अनाथ बच्चों की मार्मिक दास्तान है, जिन्हें ठिठुरती रात में मकान-मालिक बेघर कर उनकी रज़ाई छीन लेता है। बच्चे ठंड से दम तोड़ देते हैं लेकिन उनकी आत्मा रज़ाई में समा जाती है। हर रात रज़ाई से निकलती आवाज जैसे समाज से उसकी निष्ठुरता का हिसाब माँगती है। ‘बर्फ़ सुन्दरी’ और ‘सोएमोन भूला नहीं’ नैतिक मूल्यों के प्रति सजग कराती रोचक कहानियाँ हैं। ‘कुनीज़ाका की ढलान’ एक इच्छाधारी रकून कुत्ते की कहानी है जो यात्रियों को डराया करता है। इस कहानी के द्वारा रचनाकार का सन्देश है कि भय मनुष्य की आन्तरिक कमज़ोरी है जिससे भागना कायरता है। ‘आँसू बने मोती’ कहानी लीक से हटकर है, जो मनुष्य और प्रकृति के पारस्परिक घनिष्ठ सम्बन्ध को रोचक ढंग से प्रस्तुत करती है।
रेखाचित्रों तथा टिप्पणियों से भरपूर कोइज़ुमी याकुमो की मूल जापानी कहानियों का यह हिन्दी अनुवाद बाल-पाठकों का मनोरंजन करने के साथ उन्हें नैतिक तथा चारित्रिक मूल्यों के प्रति सजग कराएगा।
Language | Hindi |
---|---|
Binding | Hard Back |
Publication Year | 1998 |
Edition Year | 2023, Ed. 3rd |
Pages | 71p |
Translator | Unita Sachchidanand |
Editor | Not Selected |
Publisher | Rajkamal Prakashan |
Dimensions | 21.5 X 14 X 1 |