Bhuvneshwar Samagra

Author: Bhuvneshwar
Editor: Doodhnath Singh
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Bhuvneshwar Samagra
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भुवनेश्वर प्रेमचन्द की खोज हैं। इसके दो प्रमाण हैं—(1) उनकी अब तक प्राप्त 12 कहानियों में से 9 और अब तक प्राप्त 17 नाटकों में से 9 प्रेमचन्द द्वारा संस्थापित ‘हंस’ पत्रिका में ही प्रकाशित हुए। और (2) भुवनेश्वर की पहली और एकमात्र प्रकाशित किताब ‘कारवाँ’ की पहली समीक्षा ख़ुद प्रेमचन्द ने लिखी। लेकिन भुवनेश्वर मात्र एक कहानीकार–एकांकीकार ही नहीं, एक उत्कृष्ट कवि, सूक्तिकार और मारक टिप्पणीकार भी हैं। अपने सम्पूर्ण लेखन में वे कहीं भी दबी ज़बान से नहीं बोलते। उनकी अंग्रेज़ी की 10 कविताओं में सत्यकथन की अघोर हिंसा का जो हाहाकार है वह हिन्दी कविता के तत्कालीन (छायावादी) वातावरण के बिलकुल विपरीत और अत्याधुनिक है। भुवनेश्वर ने ‘डाकमुंशी’ और ‘एक रात’ जैसी कहानियाँ लिखकर प्रेमचन्द के चरित्रवाद और घटनात्मक कथानकवाद का एक ‘तोड़’ प्रस्तुत किया। उनकी ‘भेड़िये’ कहानी आज की गलाकाट प्रतियोगिताओं की एक प्रतीकात्मक पूर्व–झाँकी है, जहाँ अपना अस्तित्व बचाए रखने के लिए दूसरों की बलि चढ़ाने में ज़रा भी हिचक नहीं। उनके प्रसिद्ध नाटक ‘ताँबे के कीड़े’ में संवादों के होते हुए भी संवादात्मकता का पूरी तरह लोप है। भुवनेश्वर के सम्पूर्ण लेखन में सन्नाटे का एक ‘अनहद’ है जो कहीं से भी आध्यात्मिक नहीं। भुवनेश्वर हिन्दी के एक ऐसे उपेक्षित और भुलाए गए लेखक हैं, जो अपनी पैदाइश के आज सौ वर्षों बाद अब ज़्यादा प्रासंगिक और आधुनिक नज़र आते हैं। भुवनेश्वर आने वाली पीढ़ियों के लेखक हैं।

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Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2012
Edition Year 2022, Ed. 2nd
Pages 432p
Translator Not Selected
Editor Doodhnath Singh
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 3
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Author: Bhuvneshwar

भुवनेश्वर

जन्म : 1910; शाहजहाँपुर (उत्तर प्रदेश)

प्रसिद्ध एकांकीकार, लेखक एवं कवि। उनकी साहित्य साधना बहुआयामी थी। कहानी, कविता, एकांकी और समीक्षा सबमें उनकी लेखनी एक नए कलेवर का एहसास दिलाती है। छोटी सी घटना को भी नई, परन्तु वास्तविकता के सर्वाधिक निकट दृष्टि से देखने का नज़रिया भुवनेश्वर की विशेषता है।

प्रमुख कृतियाँ : कहानी-संग्रह—‘आजादी : एक पत्र’, ‘एक रात’, ‘जीवन की झलक’, ‘डाकमुंशी’, ‘भेड़िये’, ‘भविष्य के गर्भ में’, ‘माँ-बेटे’, ‘मास्टरनी’, ‘मौसी’, ‘लड़ाई’, ‘सूर्यपूजा’, ‘हाय रे, मानव हृदय!’; नाटक और एकांकी—‘ताम्बे के कीड़े’, ‘एक साम्यहीन साम्यवादी’, ‘एकाकी के भाव’, ‘पतित’ (शैतान), ‘प्रतिभा का विवाह’, ‘श्यामा : एक वैवाहिक विडम्बना’, ‘स्ट्राइक’, ‘ऊसर के नामहीन चरित्र’, ‘कारवाँ’। इसके अतिरिक्त भुवनेश्वर ने अंग्रेज़ी तथा हिन्दी में कुछ कविताएँ तथा आलोचनात्मक लेख भी लिखे हैं। 

निधन : 1957

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