Bhojpuri Sanskar geet Aur Prasar Madhyam

Edition: 2009, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Radhakrishna Prakashan
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Bhojpuri Sanskar geet Aur Prasar Madhyam

लोकगीत माटी की महक हैं, संस्कारों के स्वर हैं, अन्तर की आवाज़ हैं। इनकी पूरी व्यापक धरोहर श्रव्य परम्परा में सिमटी हुई है। शैलेश जी ने लुप्त होते लोकगीतों को सुरक्षित रखने और इनके संरक्षण हेतु स्तुतनीय प्रयास किया है। वह स्वयं एक जानी-मानी गायिका हैं। कुछ लोकगीतों की स्वरलिपि व सी.डी. देने से पुस्तक का महत्त्व और बढ़ गया है।

—गोपाल चतुर्वेदी

 

इस पुस्तक में संस्कार सम्बन्धी उत्सवों के अवसरों पर गाए जानेवाले भोजपुरी लोकगीतों का सामाजिक मूल्यांकन तथा उनके संरक्षण और प्रचार-प्रसार में संचार माध्यमों विशेषकर दूरदर्शन, आकाशवाणी की भूमिका पर एक संक्षिप्त अध्ययन प्रस्तुत किया गया है। कुछ लोकगीतों की स्वरलिपियाँ व धुनों की सी.डी. संलग्न हैं, जो संरक्षण की दिशा में एक सार्थक प्रयास है।

—डॉ. विद्याविन्दु सिंह

 

शैलेश इन लोकगीतों को गाती नहीं, जीती हैं। इसलिए आधुनिकता के नाम पर लोकगीतों के विकृत स्वरूप उन्हें पीड़ा देते हैं। उनकी यह पुस्तक इस विकृति को समझने की उनकी एक सार्थक कोशिश है।

—विश्वनाथ सचदेव

 

शैलेश श्रीवास्तव पिछले अनेक वर्षों से बिना अपनी दुंदुभी बजाए हुए हिन्दी के लोकसंगीत प्रेमियों के बीच पाश्चात्य संस्कृति के अन्धानुकरण के चलते अपनी जड़ों से उखड़ लगभग विलुप्ति के कगार पर आ खड़े हुए संस्कार गीतों की जन-मानस में पुनर्प्रतिष्ठा के लिए प्रयत्नशील हैं। बच्चे के जन्म पर गाए जानेवाले सोहर से लेकर मुंडन, छेदन, घुड़चढ़ी, लगुन भाँवरे; झूला (सावन), होली (फाग), टोना, नजर, सगुन, चैती, ठुमरी आदि सभी को उन्होंने अपना कंठ ही नहीं दिया है, बल्कि सुदूर गाँव-जवार के ओने-कोने की यात्राएँ कर उन्हें बड़ी-बूढ़ियों की कंठस्थ संचित पूँजी से बीन-चुन अपनी संगीत मंजूषा को निरन्तर समृद्ध भी किया है। प्रस्तुत शोध पुस्तक ‘भोजपुरी संस्कार गीत और प्रसार माध्यम’ उनकी श्रम-साध्य मेहनत का ही नतीजा है।

—चित्रा मुद्गल

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2009
Edition Year 2009, Ed. 1st
Pages 200p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22.5 X 14.5 X 1.5
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Shailesh Shrivastva

Author: Shailesh Shrivastva

शैलेश श्रीवास्तव

जन्म : 6 अप्रैल, 1959; बलिया (उ.प्र.)।

शिक्षा : एम.ए., राजनीतिशास्त्र (सतीश चन्द्र डिग्री कॉलेज, बलिया), गोरखपुर विश्वविद्यालय; गायन में संगीत प्रभाकर (प्रयाग संगीत समिति, इलाहाबाद); फ़िल्म एवं टी.वी. प्रोडक्शन (फ़िल्म एवं टेलीविज़न संस्थान, पुणे); आर्ट एप्रीसिएशन कोर्स (राष्ट्रीय संग्रहालय, नई दिल्ली); फ़िल्म एप्रीसिएशन कोर्स (नेशनल फ़िल्म आर्काइव, पुणे); पीएच.डी., लोकसंगीत एवं मीडिया (एस.एन.डी.टी. विश्वविद्यालय, मुम्बई)।

सांस्कृतिक पृष्ठभूमि : राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय ख्याति-प्राप्त सुगम एवं लोकसंगीत की सुप्रसिद्ध गायिका। आई.सी.सी.आर. के माध्यम से भारतीय संस्कृति के सांस्कृतिक दूत के रूप में प्रतिनिधित्व : मॉरिशस, जकार्ता, समरकन्द, ताशकन्द, ट्रिनीडाड, टोबैगो, ग्याना, न्यू एम्‍स्‍टर्डम। संगीत कम्पनी एच.एम.वी. तथा टाइम्स म्यूज़िक की कलाकार। हिन्दी तथा भोजपुरी फ़िल्मों में पार्श्व गायन। राष्ट्रीय स्तर के कवि सम्मेलनों में मंच से कविता-पाठ। लोकसंगीत के क्षेत्र में फ़ेलोशिप प्राप्त (संस्कृति मंत्रालय), जूरी मेम्बर (संस्कृति मंत्रालय एवं पश्चिम रेलवे), विभिन्न क्षेत्रों के लोकगीतों का संग्रह।

सम्प्रति : भारतीय राष्ट्रीय प्रसारण ‘दूरदर्शन’ में अधिकारी के पद पर कार्यरत।

 

 

 

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