Bhikhari Thakur : Angarh Hira

Author: Tayab Hussain
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Bhikhari Thakur : Angarh Hira
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अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन के दूसरे अधिवेशन 1974 में, अपने अध्यक्षीय भाषा में भिखारी ठाकुर का उल्लेख करते हुए राहुल सांकृत्यायन ने कहा था—हम लोगों की बोली में कितनी ताकत है, कितना तेज है, यह आप लोग भिखारी ठाकुर के नाटकों में देखते हैं। लोगों को क्यों अच्छे लगते हैं भिखारी ठाकुर के नाटक? क्यों दस-दस पन्द्रह-पन्द्रह हजार की भीड़ होती है इन नाटकों को देखने के लिए? लगता है कि इन्हीं नाटकों में जनता को रस मिलता है! जिस चीज में रस मिले, वही कविता है। किसी की बड़ी नाक हो और वह केवल दोष ही सूँघता फिरे तो उसके लिए... क्या कहा जाए। मैं यह नहीं कहता कि भिखारी ठाकुर के नाटकों में दोष नहीं हैं, दोष हैं तो उसका कारण भिखारी ठाकुर नहीं हैं, उसका कारण पढ़े-लिखे लोग हैं। वे लोग यदि अपनी बोली से नेह दिखलाते, भिखारी ठाकुर का नाटक देखते और उसमें कोई बात सुझाते तो ये सब दोष मिट जाते। भिखारी ठाकुर हम लोगों के एक अनगढ़ हीरा हैं। उनमें कुल गुण हैं, सिर्फ इधर-उधर थोड़ा तराशने की जरूरत है ।
यह पुस्तक उसी अनगढ़ हीरे के कृतित्व की समग्रता में पड़ताल करती है। यहाँ यह उल्लेख करना अनुचित नहीं होगा कि इस पुस्तक के लेखक ने ही भिखारी ठाकुर को अपने पी-एच.डी. का विषय बनाकर भोजपुरी के इस अप्रतिम नाटककार-कवि की तरफ अकादमिक जगत का ध्यान आकर्षित किया था। आज साहित्य-संस्कृति के क्षेत्र में भिखारी ठाकुर का नाम अपरिचित नहीं है तो इसमें तैयब हुसैन की भूमिका को अस्वीकार नहीं किया जा सकता। इस पुस्तक में उन्होंने न केवल भिखारी के व्यक्तित्व-कृतित्व की बल्कि भोजपुरी समाज की और उसके सन्दर्भ से वस्तुत: उत्तर भारतीय समाज की सामाजिक-सांस्कृतिक गु​त्थियों को खोलने का प्रयास किया है जो निश्चय ही विचारणीय और बहसतलब है।

More Information
Language Hindi
Format Paper Back
Publication Year 2023
Edition Year 2023, Ed. 1st
Pages 144p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1
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Tayab Hussain

Author: Tayab Hussain

तैयब हुसैन
डॉ. तैयब हुसैन का जन्म 6 अप्रैल, 1945 ई. को गाँव मिर्जापुर-बसन्त, अंचल गरखा, जिला सारण (बिहार) में हुआ। आपने अपनी पी-एच.डी. भिखारी ठाकुर पर की। शिक्षा, पुस्तकालय विज्ञान, नाटक, फिल्म में क्रमशः डिग्री, डिप्लोमा, प्रमाण-पत्र। जेड.ए. इस्लामिया कॉलेज, सीवान (जयप्रकाश विश्वविद्यालय) में अप्रैल, 2005 तक हिन्दी प्राध्यापक।
हिन्दी-भोजपुरी की पन्द्रह मौलिक और पाँच सम्पादित पुस्तकें प्रकािशत हैं। राष्ट्रीय स्तर पर गैर-सरकारी संस्थान से अनेक, बिहार सरकार के राष्ट्रभाषा परिषद, पटना से मात्र एक—‘लोकभाषा और 
साहित्य पुरस्कार’।
टी.एच.ठौर, न्यू अजीमाबाद कॉलोनी, पोस्ट-महेन्द्रू, पटना-6 में रहकर साहित्य-संस्कृति के क्षेत्र में सक्रिय।

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