‘भारत का राष्ट्रीय पशु और राज्यों के राज्य पशु’ एक उपयोगी पुस्तक है। इसका उद्देश्य है पाठकों को अपने पर्यावरण के प्रति सचेत व सहृदय बनाना।
किसी पशु को राष्ट्रीय पशु या राज्य पशु घोषित करने से भले ही वन्यजीवों पर कोई प्रत्यक्ष प्रभाव पड़े न पड़े लेकिन देश के नागरिकों में प्रकृति, पर्यावरण तथा जीव-जन्तुओं के प्रति सजगता और संवेदनशीलता का विस्तार तो होता ही है। हमारे देश की विडम्बना यह है कि इन पशुओं के बारे में मुकम्मिल जानकारी भी व्यापक स्तर पर उपलब्ध नहीं है।
बाघ हमारा राष्ट्रीय पशु है। इस पर अनेक आलेख और पुस्तकें प्रकाशित हैं। इस तथ्य से लोग अवगत भी हैं, पर कितनों को पता है कि 9 जुलाई, 1969 के पहले तक हमारा राष्ट्रीय पशु सिंह था? इसी तरह दिल्ली को छोड़कर सभी राज्यों ने किसी न किसी वन्यजीव को अपना राज्य-पशु घोषित कर रखा है, इसकी जानकारी भी बहुत कम लोगों को है।
राष्ट्रीय पशु सहित राज्य पशुओं की कुल संख्या 21 है। सामान्यतया एक वन्यजीव को एक राज्य ने अपना राज्य पशु घोषित किया है, किन्तु कुछ वन्यजीव ऐसे भी हैं, जिन्हें दो-दो राज्यों ने अपना राज्य पशु घोषित कर रखा है। गौर, मिथुन, बारहसिंगा और कस्तूरी मृग ऐसे ही वन्यजीव हैं। हाथी एक ऐसा वन्यजीव है जिसे चार राज्यों ने अपना राज्य पशु घोषित कर रखा है।
समाजशास्त्री और पर्यावरणविद् डॉ. परशुराम शुक्ल ने इस पुस्तक में इन पशुओं के बारे में विस्तार से जानकारियाँ दी हैं जो रोचक और ज्ञानवर्द्धक हैं। हिन्दी में अपने विषय पर यह अकेली पुस्तक है।
Language | Hindi |
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Binding | Hard Back |
Publication Year | 2006 |
Edition Year | 2013, Ed. 2nd |
Pages | 216p |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publisher | Radhakrishna Prakashan |
Dimensions | 22 X 14.5 X 2 |