Bhagat singh Aur Unke Sathiyon Ke Dastavez

Edition: 2024, Ed. 11th
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Bhagat singh Aur Unke Sathiyon Ke Dastavez
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शहीद भगत सिंह ने कहा था : ‘क्रान्ति की तलवार विचारों की सान पर तेज़ होती है’ और यह भी कि ‘क्रान्ति ईश्वर-विरोधी हो सकती है, मनुष्य-विरोधी नहीं’। ध्यान से देखा जाए तो ये दोनों ही बातें भगत सिंह के महान क्रान्तिकारी व्यक्तित्व का निर्माण करती हैं। लेकिन इस सन्दर्भ में महत्त्वपूर्ण यह है कि भगत सिंह की विचारधारा और उनकी क्रान्तिकारिता के ज्वलन्त प्रमाण जिन लेखों और दस्तावेज़ों में दर्ज हैं, वे आज भी पूर्ववत् प्रासंगिक हैं, क्योंकि ‘इस’ आज़ादी के बाद भी भारतीय समाज ‘उस’ आज़ादी से वंचित है, जिसके लिए उन्होंने और उनके असंख्य साथियों ने बलिदान दिया था। दूसरे शब्दों में, भगत सिंह के क्रान्तिकारी विचार उन्हीं के साथ समाप्त नहीं हो गए, क्योंकि व्यक्ति की तरह किसी विचार को कभी फाँसी नहीं दी जा सकती। कहने की आवश्यकता नहीं कि यह पुस्तक भगत सिंह की इसी विचारधारात्मक भूमिका को समग्रता के साथ हमारे सामने रखती है। वस्तुत: हिन्दी में पहली बार प्रकाशित यह कृति भगत सिंह के भावनाशील विचारों, विचारोत्तेजक लेखों, ऐतिहासिक दस्तावेज़ों, वक्तव्यों तथा उनके साथियों और पूर्ववर्ती शहीदों की क़लम से निकले महत्त्वपूर्ण विचारों की ऐसी प्रस्तुति है जो वर्तमान सामाजिक, राजनीतिक स्थितियों की बुनियादी पड़ताल करने में हमारी दूर तक मदद करती है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 1987
Edition Year 2024, Ed. 11th
Pages 380p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22.5 X 14 X 3
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Chaman Lal

Author: Chaman Lal

चमन लाल

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली में भारतीय भाषा केन्द्र तथा पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला में हिन्दी विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. चमन लाल का जन्म 1947 में पंजाब के बठिंडा ज़िले में हुआ। पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ से हिन्दी व पंजाबी में एम.ए. करने के पश्चात् उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली से भाषाविज्ञान में एम.ए., हिन्दी में एम.फ़ि‍ल तथा पीएच.डी. की उपाधियाँ प्राप्त कीं।

1985 में पंजाबी विश्वविद्यालय में लेक्चरर पद पर आने से पहले डॉ. चमन लाल कार्पोरेशन बैंक, बम्बई में हिन्दी अधिकारी (1982–83) व दैनिक ‘जनसत्ता’, दिल्ली में उप–सम्पादक (1984–85) रहे। वे गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर में हिन्दी विभाग में 1994–95 के दौरान रीडर रहे। 1996 में वे पंजाबी विश्वविद्यालय पटियाला में रीडर बने। 2005 में वे भारतीय भाषा केन्द्र जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली में हिन्दी अनुवाद के प्रोफ़ेसर नियुक्त हुए।

भगत सिंह पर उनका विशेष काम है। पाँच पुस्तकों के अलावा देश–विदेश में उन्होंने भगत सिंह पर चालीस विशेष व्याख्यान दिए हैं।

साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली ने 2001 के लिए उनकी अनूदित पुस्तक ‘समय ओ भाई समय’ को ‘साहित्य अकादेमी अनुवाद पुरस्कार’ के लिए चुना और केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय, नई दिल्ली, ने उनकी एक और पुस्तक ‘कभी नहीं सोचा था’ पर 2001 के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार दिया। 2003 के लिए उन्होंने भाषा विभाग, पंजाब का हिन्दी लेखन के लिए सर्वोच्च पुरस्कार ‘शिरोमणि हिन्दी साहित्यकार’ विश्व पंजाबी कांफ़्रेंस के अवसर पर प्राप्त किया।

प्रो. चमन लाल हिन्दी, पंजाबी व अंग्रेज़ी तीनों भाषाओं के लेखक व तीनों भाषाओं में उनकी 40 पुस्तकें प्रकाशित हैं। इसके अलावा तीनों भाषाओं में उनके पाँच सौ से अधिक शोध–पत्र, लेख, समीक्षाएँ तथा अनुवाद प्रकाशित हैं।

प्रकाशित प्रमुख कृतियाँ : ‘यशपाल के उपन्यासों में राजनीतिक चेतना’, ‘पंजाबी नावल ते देश दी वंड दा प्रभाव’। सम्‍पादन एवं अनुवाद : ‘भगतसिंह और उनके साथियों के दस्तावेज़’ (डॉ. जगमोहन सिंह के साथ), ‘क्रान्तिवीर भगत सिंह : अभ्‍युदय और भविष्‍य’, ‘प्रतिनिधि हिन्‍दी उपन्यास’, ‘भारती जेलां विच पंज वर्हे’ (मेरी टाइलर) तथा ‘साहित ते इन्कलाब (लू शुन के चुने हुए लेख)।

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