Balam, Tu kahe Na Hua N.R.I

Author: Alok Puranik
Edition: 2009, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Radhakrishna Prakashan
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Balam, Tu kahe Na Hua N.R.I
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आलोक पुराणिक हमारे रोज़मर्रा जीवन की विसंगतियों की शल्य-क्रिया करनेवाले व्यंग्यकार हैं।

‘बालम, तू काहे न हुआ एन.आर.आई.’ उनका महत्त्वपूर्ण व्यंग्य-संग्रह है। इसमें उन्होंने देश-विदेश एवं मिथकीय सन्दर्भों से जहाँ आज के सामाजिक जीवन की विद्रूपताओं को रेखांकित किया है, वहीं राजनीति में व्याप्त भ्रष्टाचार पर प्रकाश डालने के साथ अपने स्वार्थों में लिप्त धार्मिक पाखंडियों का भी पर्दाफ़ाश किया है।

व्यंग्य के बहाने लेखक हमारे जीवन से जुड़े उन विरोधाभासों को परत-दर-परत खोलता चलता है जिनका सामना हमें जीवन में क़दम-क़दम पर करना पड़ता है और जहाँ हम नाटकीय जीवन जीने के लिए अभिशप्त हैं। स्वार्थों और चालाकियों की भेंट चढ़े रिश्ते हों या बहुराष्ट्रीयता के प्रहसन के सामने अपनी साख बचाती स्थानीयता या फिर स्वतंत्रता बाद के भारत की राजनीति हो, यह सब उनकी लेखनी के दायरे में आते हैं, और इतने स्वाभाविक चुटीलेपन के साथ कि पाठक भावोद्वेलित हुए बिना नहीं रह सकता।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2009
Edition Year 2009, Ed. 1st
Pages 191p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.5
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Alok Puranik

Author: Alok Puranik

आलोक पुराणिक

जन्म : 30 सितम्बर, 1966, आगरा।

शिक्षा : एम.कॉम., पी-एच.डी.।

‘अमर उजाला’, ‘राष्ट्रीय सहारा’, ‘नवभारत टाइम्स’, ‘जागरण’, ‘उदय पत्रिका’, ‘दैनिक नवज्योति’, ‘दैनिक ट्रिब्यून‘, ‘स्वतंत्र वार्ता’, ‘सेंटिनल’, ‘लोकमत समाचार’, समेत कई पत्र-पत्रिकाओं में नियमित व्यंग्य-लेखन।

प्रमुख कृतियाँ : ‘बालम, तू काहे न हुआ एन.आर.आई.’, ‘नेकी कर, अख़बार में डाल’, ‘ह्वाइट हाउस में रामलीला’, ‘छिछोरेबाज़ी का रिजोल्यूशन’।

दिल्ली विश्वविद्यालय के एक कॉलेज में अध्यापन।

ई-मेल: alokpuranik@yahoo.com

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