Bahas Ke Muddey-Hard Back

ISBN: 9789389243512
Edition: 2019, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
Special Price ₹262.50 Regular Price ₹350.00
25% Off
In stock
SKU
9789389243512
- +
Share:

इस पुस्तक में आजकल चल रहे बहस के मुद्दों पर लेख संकलित है। ये मुद्दे लम्बे समय से बने रहे हैं, किन्तु केन्द्र में अभी आए हैं। 2014 से पहले राजनीति पर समाज हावी रहता था, उसके बाद समाज पर राजनीति हावी हो गई है। इसका आरम्भ आपातकाल के दौरान ही हो गया था पर वर्चस्व अब बना है। जब समाज हावी था, तब समाजवाद निश्चित अर्थव्यवस्था, धर्मनिरपेक्षता, समानता, स्वतंत्रता, दलितवाद, पिछड़ावाद, आदिवासी विमर्श, स्त्रीवाद आदि का बोलबाला था। (इसमें आदिवासी विमर्श का पूरा विकास नहीं हो पाया था, अब हो रहा है।) अयोध्या की घटना के बाद सांस्कृतिक राष्ट्रवाद आया और उससे जुड़े तमाम दीगर मुद्दे। अब माना जाने लगा है कि कोई एक बात वर्चस्व बनाकर चल सकती है तो वह है ‘हिन्दुत्व’। उसके लिए निर्वचन और उत्तर सत्य का सहारा लिया जा रहा है। भुला दिया जा रहा है कि इस बहुलता वाले देश में कोई बात देशकाल-परिस्थिति के अनुसार प्रमुख तो हो सकती है, ‘डॉमिनेंट’ नहीं।

इधर सरकार बदलने के बाद जो बहस के मुद्दे पीछे चले गए थे, वे फिर केन्द्र में आ गए हैं और कुछ नए मुद्दे उभर आए हैं। ऐसे ही नौ मुद्दे, जैसे हिन्दुइज्म, हिन्दुत्व, सांस्कृतिक राष्ट्रवाद, सामाजिक अभियंत्रण, उत्तर सत्य का प्रभाव, विकास का गुजरात मॉडल, जनजातीय विमर्श का आधार वग़ैरह की चर्चा इस पुस्तक में है। वहाँ जो तर्क-वितर्क  रखे गए हैं, वे पाठकों को प्रबुद्ध तो करेंगे ही, अपना पक्ष चुनने में भी मदद करेंगे। उम्मीद है, यह पुस्तक प्रबुद्ध और सामान्य दोनों ही तरह के पाठकों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2019
Edition Year 2019, Ed. 1st
Pages 161p
Price ₹350.00
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1
Write Your Own Review
You're reviewing:Bahas Ke Muddey-Hard Back
Your Rating
Shriprakash Mishra

Author: Shriprakash Mishra

श्रीप्रकाश मिश्र

श्रीप्रकाश मिश्र के अबतक पाँच कविता संग्रह : ’मौन पर शब्द’ (1986), ‘शब्द के बारीक तारों से’ (2009), ‘शब्द संभावनाएँ हैं’ (2012), ‘मिअमाड़’ (2015), ‘कि जैसे होना खतरनाक संकेत’ (2017), पाँच उपन्यास : ‘जहाँ बांस फूलते हैं’ (1996), ‘रूपतिल्ली की कथा’ (2006), ‘जो भुला दिये गये’ (2013), ‘आपरेशन खुदाबख्श’ (2015), ‘नदी की टूट रही देह की आवाज’ (2020), चार आलोचना की पुस्तकें ‘यह जो आ रहा है हरा’ (1992), ‘यूरोप के आधुनिक कवि’ (2011), ‘युग की नब्ज’ (2012), ‘रचना का सच’ (2013) के अलावा चिन्तन की पाँच पुस्तकें ‘सोच की दृग छाया’ (2017), ‘उत्तर आधुनिक अवधारणाएं’ (2018) ‘बहस के मुद्दे’ (2019), ‘अहिंसा का उत्तर आधुनिक परिप्रेक्ष्य’ (2021), ‘न्याय: अहिंसक समाज का आधार’ (2022) प्रकाशित हैं। ग्राम जड़हा जिला कुशीनगर (उ.प्र.) के निवासी श्रीप्रकाश मिश्र एम.ए. (राजनीति शास्त्र) और एल-एल.एम हैं इलाहाबाद विश्वविद्यालय से। विद्यार्थी जीवन में छात्र राजनीति में सक्रिय रहे। बांग्ला देश की आजादी की लड़ाई में मुक्तिवाहिनी के साथ रहे। केन्द्र सरकार की सेवा में रहते हुए उत्तर-पूर्व, कश्मीर, भूटान, बांग्ला देश आदि में रहे। अब प्रयागराज में रहते हैं और कविता की अनियतकालीन पत्रिका 'उन्नयन' का संपादन/ प्रकाशन करते हैं। रामविलास शर्मा सम्मान के संस्थापक व पुरस्कर्ता हैं।

संपर्क : 406 त्रिवेणी रोड, कीडगंज, प्रयागराज (उ.प्र), पिन : 211003

ई-मेल: spm1950@rediffmail.com

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top