Anuwad Ka Samkal

Literary Criticism
Author: Mohsin Khan
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Anuwad Ka Samkal
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अनुवाद केवल पुस्तकों, लेखों या रचनाओं तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि उसने कई क्षेत्रों में प्रवेश करते हुए उन्हें समृद्ध किया है और वर्तमान में हर दिशा में बड़ा लाभदायक सिद्ध हो रहा है। ‘अनुवाद का समकाल’ पुस्तक जहाँ अनुवाद की परिभाषा, अर्थ, स्वरूप, सिद्धान्त, प्रक्रिया, प्रविधि, उपयोगिता, महत्‍त्‍व, भेद और चुनौतियों की विशद चर्चा करते हुए उनके विविध पक्षों पर मौलिकता के साथ समेकित निष्कर्ष प्रदान करती है, वहीं अनुवाद विमर्श से अपनी मौलिकता में और आगे बढ़ते हुए वर्तमान में अनुवाद की वैश्विक धरातल पर नूतन भूमिका को तलाशती हुई अनुवाद की अनिवार्य स्थितियों को कई स्तरों पर उजागर करती है। इनमें अनुवाद पुस्तकें, पत्र, दस्तावेज़, शासन-प्रशासन, कूटनीति, विदेश नीति में अनुवाद, खेल और पर्यटन में अनुवाद, अनुवाद का शिक्षा संस्थानों से सम्बन्ध, अनुवाद और वर्तमान में कार्यरत संस्थाएँ, परिषद, अनुवाद तकनीक का प्रयोग, प्रसार और परिदृश्य, अनुवाद सूचना प्रौद्योगिकी और उसकी वस्तु-स्थितियाँ, कंप्यूटर आधारित अनुवाद की उपयोगिता, सीमाएँ और चुनौतियाँ, डबिंग और अनुवाद के विभिन्न रूप एवं प्रकार, अनुवाद की एजेंसियाँ तथा उनके कार्यक्षेत्र, वैश्विक स्तर पर अनुवाद के सम्बन्ध में विश्वविद्यालयों में उपयोगी कोर्स, अनुवाद के पत्र-पत्रिकाएँ, पुरस्कार, अनुवाद की वेबसाइट, रेडियो और अनुवाद, सरकारी, ग़ैरसरकारी उद्यम, शब्दकोश, मोबाइल अनुवाद, अनुवाद के ब्लॉग, अनुवाद और रोज़गार, अनुवाद समारोह, कार्यशालाएँ आदि का विस्तृत और बहु उपयोगी प्रामाणिक ब्योरा प्राप्त किया जा सकता है। अब तक के अनुवाद को केन्द्र में रखकर रची गई पुस्तकों के मध्य यह पुस्तक अपनी मौलिकता के साथ अनुवाद के वर्तमान परिदृश्य को व्यापक रूप में समेटने का भरसक प्रयास करती है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2018
Edition Year 2018, Ed. 1st
Pages 223p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 2
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Editorial Review

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Mohsin Khan

Author: Mohsin Khan

डॉ. मोहसिन खान

शिक्षा : एम.फिल्., स्नातकोत्तर, NET, RJ.SLET, M.P. SLET

प्रमुख कृतियाँ : ‘प्रगतिवादी समीक्षक और डॉ. रामविलास शर्मा’, ‘दिनकर का कुरुक्षेत्र और मानवतावाद’, ‘रहीम के काव्य में पुराख्यान’ (आलोचना);

‘त्रितय’ ‘सैलाब’(शायरी); ‘अनुवाद का समकाल’ (अनुवाद मीमांसा आदि)। (उपन्‍यास);

कई शोध-पत्र एवं आलेख राष्ट्रीय स्तर के पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित।

सह-सम्पादन : ‘देवनागरी विमर्श’, ‘खंड-खंड अग्नि : भाव’, ‘संवेदना और शिल्प’।

सम्पादन सहयोगी : ‘अक्षरवार्ता’, आादि।

सम्मान : दलित साहित्य अकादमी द्वारा ‘डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर फ़ेलोशिप सम्मान’, ‘कुलाबा गौरव सम्मान’, आदि कई सम्‍मानित।

 

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