Anuvad Vigyan Ki Bhumika

Edition: 2023, Ed. 4th
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Anuvad Vigyan Ki Bhumika
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अनुवाद आधुनिक युग में एक सामाजिक आवश्यकता बन गया है। भूमंडलीकरण से समूचा संसार ‘विश्वग्राम’ के रूप में उभरकर आया है और इसी कारण विभिन्न भाषा-भाषी समुदायों तथा ज्ञानक्षेत्रों में अनुवाद की महत्ता और सार्थकता में वृद्धि हुई है। इधर भाषाविज्ञान और व्यतिरेकी विश्लेषण के परिप्रेक्ष्य में हो रहे अनुवाद चिन्तन से अनुवाद सिद्धान्त अपेक्षाकृत नए ज्ञानक्षेत्र के रूप में उभरा है तथा इसके कलात्मक स्वरूप के साथ-साथ वैज्ञानिक स्वरूप को भी स्पष्ट करने का प्रयास हो रहा है। इसीलिए अनुवाद ने एक बहुविधात्मक और अपेक्षाकृत स्वायत्त विषय के रूप में अपनी पहचान बना ली है। इसी परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत पुस्तक में सैद्धान्तिक चिन्तन करते हुए उसे सामान्य अनुवाद और आशु-अनुवाद की परिधि से बाहर लाकर मशीनी अनुवाद के सोपान तक लाने का प्रयास किया गया है। ‘अनुप्रायोगिक आयाम’ में साहित्य, विज्ञान, जनसंचार, वाणिज्य, विधि आदि विभिन्न ज्ञानक्षेत्रों को दूसरी भाषा में ले आने की इसकी विशिष्टताओं की जानकारी दी गई है। ‘विविध अवधारणाएँ’ आयाम में तुलनात्मक साहित्य, भाषा-शिक्षण, शब्दकोश आदि से अनुवाद के सम्‍बन्‍धों के विवेचन का जहाँ प्रयास है, वहाँ अनुसृजन और अनुवाद की अपनी अलग-अलग सत्ता दिखाने की भी कोशिश है।

अनुवाद की महत्ता और प्रासंगिकता तभी सार्थक होगी जब इसकी भारतीय और पाश्चात्य परम्परा का भी सिंहावलोकन किया जाए। इस प्रकार अनुवाद के विभिन्न आयामों और पहलुओं पर यह प्रथम प्रयास है। अतः उच्चस्तरीय अध्ययन तथा गम्भीर अध्येताओं के लिए इसकी सार्थक और उपयोगी भूमिका रहेगी।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2008
Edition Year 2023, Ed. 4th
Pages 496p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 3.5
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Krishan Kumar Goswami

Author: Krishan Kumar Goswami

कृष्ण कुमार गोस्वामी

जन्म : जुलाई, 1942

शिक्षा : एम.ए., एम.लिट्. (भाषाविज्ञान), पीएच.डी. (शैलीविज्ञान)।

विशेषज्ञता : भाषाविज्ञान, अनुवाद, कोशविज्ञान, शैलीविज्ञान, समाज भाषाविज्ञान, भाषाप्रौद्योगिकी, प्रयोजनमूलक हिन्दी और साहित्य।

प्रकाशित पुस्तकें : ‘शैक्षिक व्याकरण और व्यावहारिक हिन्दी’, ‘शैलीविज्ञान और रामचन्द्र शुक्ल की भाषा’, ‘प्रयोजनमूलक हिन्दी और कार्यालयी हिन्दी’, ‘भाषा के विविध रूप और अनुवाद’, ‘आधुनिक हिन्दी : विविध आयाम’, ‘Code Switching in Lahanda Speech Community : A Sociolinguistic Survey’, ‘अनुवादविज्ञान की भूमिका’, ‘हिन्दी का सामाजिक और भाषिक परिदृश्य’ आदि बारह पुस्तकें। सम्पादित : ‘साहित्य भाषा और साहित्य शिक्षण’, ‘दक्खिनी भाषा और साहित्य : विश्लेषण की दिशाएँ’, ‘जयशंकर प्रसाद : मूल्यांकन और मूल्यांकन’, ‘सागर मंथन : विवेचन और विश्लेषण’, ‘भारत की राजभाषा नीति’, ‘अनुवाद मूल्यांकन’, ‘अनुवाद की नई परम्परा और आयाम’ आदि।

सहसम्पादित : ‘अनुवाद सिद्धान्त और समस्याएँ’, ‘कार्यालयी अनुवाद की समस्याएँ’, ‘अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान’, ‘Translation and Interpreting’ आदि।

कोश : ‘अंग्रेज़ी-पंजाबी : पंजाबी-अंग्रेज़ी शब्दकोश’, ‘अंग्रेज़ी-हिन्दी शब्दकोश’।

शैक्षिक विदेश-यात्रा : अमेरिका, स्वीडेन, डेनमार्क, मॉरीशस, दक्षिण अफ़्र‍ीका, यूएई, नेपाल।

शैक्षिक सदस्यता : भारत सरकार, विश्वविद्यालयों और अनेक शैक्षिक संस्थाओं की समितियों में सक्रिय सदस्य।

शैक्षिक सेवा : प्रोफ़ेसर, विभागाध्यक्ष और क्षेत्रीय निदेशक, केन्द्रीय हिन्दी संस्थान; प्रोफ़ेसर और विभागाध्यक्ष, उच्च शिक्षा और शोध संस्थान तथा प्रोफ़ेसर एवं सलाहकार, प्रगत संगणक विकास केन्द्र (C-DAC)।

निधन : 23 अप्रैल, 2021

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