Anuvad Ki Samasyaen

Language Teaching
Author: G. Gopinathan
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Anuvad Ki Samasyaen
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हिन्दी तथा विश्व की अन्य महत्‍त्‍वपूर्ण भाषाओं के बीच अनुवाद की भाषागत समस्याओं के बारे में यह द्विभाषी (हिन्दी अंग्रेज़ी) पुस्तक एक अन्तरराष्ट्रीय परिचर्चा के रूप में पत्राचार द्वारा संकलित की गई है। पुस्तक की परिकल्पना तथा परिचर्चा का आयोजन मुख्य रूप से कालीकट विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के प्रो. जी. गोपीनाथन ने किया तथा इसके सह-सम्पादन में वहीं के अंग्रेज़ी विभाग के प्रो. एस. कंदास्वामी ने योग दिया। पुस्तक में छत्‍तीस शोधपत्र हैं जिनमें अनुवाद के सिद्धान्त और व्यवहार से उत्पन्न होनेवाली समस्याओं की विस्तृत चर्चा है और हिन्दी तथा विश्व की अन्य प्रमुख भाषाओं के बीच अनुवाद-कार्य पर विशेष बल दिया गया है। भारत में अनुवाद में विभिन्न प्रकार की जिन व्यावहारिक कठिनाइयों का सामना होता है, उनकी भी विस्तृत चर्चा इसमें शामिल है। हिन्दी भारत की सम्पर्क भाषा और भारत की मिली-जुली संस्कृति के सम्प्रेषण के माध्यम के रूप में तेज़ी से विकास कर रही है। हिन्दी तथा अन्य भाषाओं के बीच अनुवाद-कार्य पिछले कुछ दशकों से गतिशील हुआ है। प्रस्तुत अध्ययन अनुवाद कार्य को बढ़ावा देने और अनुवाद के क्षेत्र में विकसित अध्ययन तथा शोध के सिलसिले में सैद्धान्तिक और व्यावहारिक रूप से सहायक सिद्ध होगा। एशियाई भाषाओं में अनुवाद सम्‍बन्धी अध्ययन एक नया विकसित होता क्षेत्र है और प्रस्तुत अध्ययन व्यावहारिक भाषाविज्ञान तथा साहित्यिक शोध के इस क्षेत्र में एक पहलक़दमी है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 1993
Edition Year 2011
Pages 333p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 21.5 X 14 X 2
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Editorial Review

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Author: G. Gopinathan

जी. गोपीनाथन


जन्‍म : जी. गोपीनाथन का जन्म 20 अप्रैल, 1943 को केरल के तिरुवनंतपुरम ज़ि‍ले के बलरामपुरम गाँव में हुआ था।

शिक्षा : हिन्‍दी में एम.ए., पीएच.डी. और डी.लिट्. की उपाधियाँ प्राप्त कीं।

जी. गोपीनाथन ने रूसी भाषा में डिप्लोमा प्राप्त कर कालिकट विश्वविद्यालय के हिन्‍दी विभाग में प्राध्यापक, रीडर, प्रोफ़ेसर एवं विभागाध्यक्ष रहे। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्‍दी विश्वविद्यालय, वर्धा में कुलपति, फिनलैंड के हेलसिंकी विश्वविद्यालय और वारसॉ यूनिवर्सिटी पोलैंड में विज़ि‍टिंग प्रोफ़ेसर रहे।

प्रकाशित प्रमुख कृतियाँ : ‘केरलियों की हिन्‍दी को देन’, ‘मलयालम की नई कविताएँ’, ‘अनुवाद : सिद्धान्‍त और प्रयोग’, ‘अनुवाद की समस्‍याएँ’, ‘केरल की सांस्‍कृतिक विरासत’, ‘क्रान्तिकारी सन्‍त श्रीनारायण गुरु की कविताएँ’, ‘विश्‍व भाषा हिन्‍दी की अस्मिता’ आदि।

उन्‍होंने ‘कालिकट यूनिवर्सिटी रिसर्च जर्नल’ (भाग 1, 2), ‘तुलनात्‍मक साहित्‍य विश्‍वकोश’, ‘बहुवचन’, ‘पुस्तक वार्त्ता’, ‘हिन्‍दी विमर्श’ का सम्‍पादन किया।

‘राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार’, ‘नातालि पुरस्कार’, ‘साहित्य साधना सम्मान’, ‘भाषा सेतु सम्मान’, ‘साहित्य वाचस्पति’, ‘कुसुम अहिन्‍दी भाषी हिन्‍दी सम्मान’, ‘सौहार्द सम्मान’ आदि अनेक सम्मानों से अलंकृत।

उन्‍होंने विश्व के प्रायः सभी प्रमुख देशों की अकादमिक यात्राएँ की हैं। 

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