Anrahani Rahane Do

Author: Mukund Laath
Edition: 2013, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Anrahani Rahane Do

विचारक और संगीतविद् मुकुन्द लाठ चार दशकों से अधिक कविता लिखते रहे हैं। उनका यह संग्रह 1970 से लेकर 2012 के दौरान लिखी कविताओं का संग्रह है। जितना अचरज की बात है कि उन जैसा अधीत विद्वान चुपचाप इतने बरसों से कविता लिख रहा है, उससे कम अचरज की बात यह नहीं है कि ये कविताएँ किसी भी काव्य-निकष या काव्य-रुचि के आधार पर कविताएँ हैं।

इन कविताओं में शास्त्र और लोक दोनों समाहित हैं—उनमें परम्परा की आधुनिक अन्तर्ध्वनियाँ हैं और आधुनिकता के कई मर्म और उत्सुकताएँ गुँथी हुई हैं। वे बहुत सहजता से तत्सम और तद्भव को एक साथ साधती हैं। उन पर विचार हावी नहीं है और वे कविता की काया में हस्तक्षेप नहीं करते हैं बल्कि अनुभव की तरंगित सघनता में घुल-मिलकर आते हैं।

हमारे समय या शायद सभी समयों में मनुष्य की स्थायी विडम्बना यह है कि उसकी स्थिति हमेशा ही अन्तर्विरोध की है। मुकुन्द लाठ की कविता इस स्थायी और अटल अन्तर्विरोध से न मुँह मोड़ती है, न ही उसको सरलीकृत करती है।

मुकुन्द जी के यहाँ शब्द और बिम्ब की लीला के साथ-साथ गहरा विनोद भाव भी सक्रिय है।

कविता अगर एक स्तर पर सार्थक होने के लिए एक समूचे जीवन को उसकी जटिलता और सूक्ष्मता में प्रकट करती है और एक ऐसी मानवीय गरमाहट और हमआहंगी देती है जो अन्यथा सम्भव नहीं है तो मुकुन्द लाठ की कविता भरी-पूरी जीवन-कविता है।      

—अशोक वाजपेयी

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2013
Edition Year 2013, Ed. 1st
Pages 208p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 2
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Mukund Laath

Author: Mukund Laath

मुकुन्द लाठ

 

शिक्षा के साथ संगीत में विशेष प्रवृत्ति थी जो बनी रही। आप पंडित जसराज के शिष्य थे। अंग्रेज़ी में बी.ए. (ऑनर्स), फिर संस्कृत में एम.ए. किया। पश्चिम बर्लिन गए और वहाँ संस्कृत के प्राचीन संगीत-ग्रन्थ ‘दत्तिलम्’ का अनुवाद और विवेचन किया। भारत लौटकर इस काम को पूरा किया और इस पर पीएच.डी. ली।

1973 से 1997 तक राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर के भारतीय इतिहास एवं संस्कृत विभाग में रहे। भारतीय संगीत, नृत्य, नाट्य, कला, साहित्य-सम्बन्धी चिन्तन और इतिहास पर हिन्दी-अंग्रेज़ी में लिखते रहे।

यशदेव शल्य के साथ दर्शन प्रतिष्ठान की प्रतिष्ठित पत्रिका ‘उन्मीलन’ के सम्पादक और उसमें नियमित लेखन।

प्रकाशित प्रमुख कृतियाँ : ‘ए स्टडी ऑफ़ दत्तिलम्’, ‘हाफ़ ए टेल’ (‘अर्धकथानक’ का अनुवाद), ‘द हिन्दी पदावली ऑफ़ नामदेव’ (‘कालावार्त’ के सहलेखन में), ‘ट्रान्सफ़ॉरमेशन ऐज़ क्रिएशन’, ‘संगीत एवं चिन्‍तन’, ‘स्वीकरण’, ‘तिर रही वन की गन्‍ध’, ‘धर्म-संकट’, ‘कर्म-चेतना के आयाम’, ‘क्या है क्या नहीं है’, ‘अनरहनी रहने दो’, ‘अँधेरे के रंग’, ‘गगनवट : संस्‍कृत मुक्‍तकों को स्‍वीकरण’, ‘भावन : साहित्‍य और अन्‍य कलाओं का अनुशीलन’ आदि।

सम्मान व पुरस्कार : ‘पद्मश्री’, ‘शंकर पुरस्कार’, ‘नरेश मेहता वाङ्मय पुरस्कार’, ‘फ़ेलो-संगीत नाट्य अकादेमी’।

निधन : 6 अगस्‍त, 2020

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