Angad Ka Paon

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Author: Shrilal Shukla
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Angad Ka Paon

श्रीलाल शुक्ल सामान्य अर्थों में व्यंग्यकार नहीं हैं। उनका व्यंग्य गुदगुदी या हास्य पैदा करनेवाला व्यंग्य नहीं है। उसके पीछे निहित उनका गहन समाजबोध उनकी व्यंग्य रचनाओं को एक रचनात्मक आयाम देता है, ‘राग दरबारी’ जिसका सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है। यह गुण उनकी खुदरा व्यंग्य रचनाओं में भी इतनी ही गम्भीरता से मौजूद है। ‘अंगद का पाँव’ उनके विविध व्यंग्य निबन्धों का संग्रह है जो उनकी सामाजिक संलग्नता, चिन्ता और अपनी दुनिया के प्रति उनके नज़रिए को समग्रतापूर्वक प्रतिबिम्बित करता है। मसलन इसी पुस्तक में शामिल ‘शॉ का भूमिका भाष्य’ में पुस्तक की भूमिका लिखवाने गए एक हिन्दुस्तानी लेखक को शॉ की कही बातें द्रष्टव्य हैं जिनसे आज के लेखकीय जगत में बड़े नामों से भूमिकाएँ लिखवाने के विज्ञापनी रिवाज की कलई खुल जाती है : ‘‘भूमिका इसलिए होती है कि पाठक समझ लें कि लेखक की एक अपनी भूमि भी है। भूमिहीन लेखकों के लिए भूमिका का इसलिए और भी महत्त्व है। इसलिए नाटक के कई अंक काटकर एक भूमिका लिखना नाटककार की बुद्धिमत्ता में शामिल है।’’ ‘‘जो अपने प्रकाशक से प्रस्तावना लिखवाते हैं, वे अपनी पुस्तक के लिए विज्ञापन लिखाने के पैसे तो बचा लेते हैं पर अपनी पुस्तक को रजिस्टर्ड दवाओं के स्तर पर उतार देते हैं।’’ कहने की आवश्यकता नहीं कि जीवन के हर विद्रूप के विषय में उनका व्यंग्य उतना ही यथार्थवादी और साफ़गो है जितना उक्त पंक्तियों में नज़र आता है। ‘अंगद का पाँव’ में शामिल सभी व्यंग्य इसका प्रमाण हैं।

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Language Hindi
Format Hard Back
Edition Year 2001
Pages 155p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 21 X 14 X 1
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Editorial Review

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Shrilal Shukla

Author: Shrilal Shukla

श्रीलाल शुक्ल

जन्म : 31 दिसम्बर, 1925 को लखनऊ जनपद (उ.प्र.) के अतरौली गाँव में।

शिक्षा : इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक।

प्रकाशित कृतियाँ : उपन्यास—‘सूनी घाटी का सूरज’, ‘अज्ञातवास’, ‘राग दरबारी’, ‘आदमी का ज़हर’, ‘सीमाएँ टूटती हैं’, ‘मकान’, ‘पहला पड़ाव’, ‘बिस्रामपुर का सन्त’; कहानी-संग्रह—‘यह घर मेरा नहीं’, ‘सुरक्षा तथा अन्य कहानियाँ’, ‘इस उम्र में’; व्यंग्य-संग्रह—‘अंगद का पाँव’, ‘यहाँ से वहाँ’, ‘मेरी श्रेष्ठ व्यंग्य रचनाएँ’, ‘उमरावनगर में कुछ दिन’, ‘कुछ ज़मीन पर कुछ हवा में’, ‘आओ बैठ लें कुछ देर’, ‘अगली शताब्दी का शहर’, ‘जहालत के पचास साल’; आलोचना—‘अज्ञेय : कुछ राग और कुछ रंग’; विनिबन्ध—‘भगवतीचरण वर्मा’, ‘अमृतलाल नागर’; बाल-साहित्य—‘बब्बर सिंह और उसके साथी’।

 अनुवाद : 'पहला पड़ाव’ अंग्रेज़ी में अनूदित और 'मकान’ बांग्ला में। 'राग दरबारी’ सभी प्रमुख भारतीय भाषाओं सहित अंग्रेज़ी में।

प्रमुख सम्मान : ‘ज्ञानपीठ पुरस्‍कार’, ‘व्यास सम्मान’, ‘पद्मभूषण सम्मान’, ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’, ‘साहित्य भूषण सम्मान’, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय का ‘गोयल साहित्य पुरस्कार’, ‘लोहिया अतिविशिष्ट सम्मान’, म.प्र. शासन का ‘शरद जोशी सम्मान’, ‘मैथिलीशरण गुप्त सम्मान’।

निधन : 28 अक्टूबर, 2011

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