Agha Hashra Kashmiri Ke Chuninda Drame : Vols. 1-2

Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Agha Hashra Kashmiri Ke Chuninda Drame : Vols. 1-2

पारसी थिएटर हमारी बहुमूल्य विरासत है, इसलिए हमें इसकी हिफ़ाज़त भी करनी है। ‘राष्ट्रीय नाट्‌य विद्यालय’ में पारसी नाटकों के मंचन की परम्परा रही है। यह भी एक सत्य है कि उत्तर भारत के सभी नगरों और महानगरों में रंगकर्मी इस परम्परा से जुड़ने पर सुख और सन्‍तोष का अनुभव करते हैं। शायद यही कारण है कि देश-भर के रंगकर्मी समय-समय पर पारसी नाटकों, विशेषकर आग़ा हश्र काश्मीरी के नाटकों की माँग करते रहते हैं।

दो खंडों की इस पुस्तक में आगा हश्र के दस चर्चित नाटकों के साथ उनके जीवन व योगदान पर एक लम्बा शोधपरक लेख भी शामिल है। पहले खंड में 'असीर-ए-हिर्स', 'सफ़ेद ख़ून', 'सैद-ए-हवस' तथा 'ख़ूबसूरत बला' नाटकों को शामिल किया गया है। दूसरे खंड में हैं—'सिल्वर किंग', 'यहूदी की लड़की', 'आँख का नशा', 'बिल्वा मंगल', 'सीता बनबास' तथा 'रुस्तम-ओ-सोहराब'। इन नाटकों के लिप्यन्‍तरण में शब्दार्थ के साथ-साथ इस बात का भी पूरा ध्यान रखा गया है कि उर्दू शब्दों का यथासम्‍भव सही उच्चारण हो सके और ख़ास तौर पर अभिनेताओं तथा रंगकर्मियों को संवाद अदायगी में कोई दिक्‍़क़त पेश न आए।

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Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2004
Pages 646p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
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Agha Hashra Kashmiri

Author: Agha Hashra Kashmiri

आग़ा हश्र काश्‍मीरी

पूरा नाम : आग़ा मुहम्मद शाह हश्र

जन्म : 4 अप्रैल, 1879 को बनारस में।

शिक्षा : स्कूल में सिर्फ़ छठी कक्षा तक पढ़ पाए। स्वाध्याय से फ़ारसी, अरबी, उर्दू, अंग्रेज़ी तथा हिन्‍दी आदि विभिन्न भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया।

प्रमुख कृतियाँ : पहला नाटक 'आफ़ताबे-मुहब्बत' नाम से सन् 1897 में फ्रैंडज क्लब, बनारस के लिए लिखा। उसके बाद लगभग पच्चीस नाटक और लिखे, जिनमें सर्वाधिक चर्चित हुए—‘यहूदी की लड़की’, ‘रूस्तम-ओ-सोहराब’, ‘असीरे-हिर्स’, ‘सैदे-हवस’ और ‘ख़ूबसूरत बला’।

आग़ा हश्र ने अपनी दो नाटक कम्‍पनियाँ बनाईं—'दी ग्रेट एल्फ्रेड थिएट्रिकल कंपनी' तथा 'इंडियन शेक्सपियर थिएट्रिकल कंपनी ऑफ़ लाहौर'। सन् 1934 में उन्होंने 'हश्र पिक्चर्स' नाम से अपनी एक फ़‍िल्म कंपनी भी स्थापित की। उन्होंने चार फ़‍िल्मों (‘शीरीं-फ़र्हाद’, ‘यहूदी की लड़की’, ‘औरत का प्यार’ तथा ‘चंडीदास’) की पटकथाएँ भी लिखीं।

निधन : 28 अप्रैल, 1935 को लाहौर में।

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