Acharya Nand Dulare Vajpeyi

Literary Criticism,Biography
As low as ₹280.00 Regular Price ₹400.00
You Save 30%
In stock
Only %1 left
SKU
Acharya Nand Dulare Vajpeyi
- +

ऐतिहासिक तथ्य तो यही है कि शुक्लोत्तर आलोचकों में अग्रगण्य और सर्वप्रमुख नाम आचार्य नन्ददुलारे वाजपेयी का है। ‘हिन्दी आलोचना की बीसवीं सदी’ की लेखिका निर्मला जैन का यह कथन तथ्यपूर्ण है कि 'आचार्य शुक्ल का विशाल व्यक्तित्व एक चुनौती की तरह परवर्ती आलोचकों के सामने खड़ा था...बाद की आलोचना में उनकी सीधी और पहली टकराहट छायावाद को लेकर अपने ही शिष्य नन्ददुलारे वाजपेयी से हुई।...वाजपेयी ने शुक्ल जी को सैद्धान्तिक स्तर पर चुनौती दी।'

आचार्य वाजपेयी मानते थे कि ‘कवि अपने काव्य के लिए ही ज़‍िम्मेदार है पर समीक्षक अपने युग की सम्पूर्ण साहित्यिक चेतना के लिए ज़‍िम्मेदार है।' उनकी समीक्षा-दृष्टि इसी सन्दर्भ में 'प्रगल्भ भावोन्मेष' की स्वामिनी है।

राष्ट्रीय और मूलभूत क्रान्तिकारी विरासतों के साथ अपने देश और काल को अहमियत देते हुए भी वे वैश्विक चेतना के प्रति सजगता को भी समीक्षक का धर्म मानते थे।

इसमें क्या शक कि वे न केवल महान राष्ट्रीय आन्दोलन के वैचारिक पार्टनर थे बल्कि उसी की उपज भी थे। इसीलिए उनकी आलोचना में राष्ट्रीय और सांस्कृतिक मूल्यों का आग्रह क़दम-क़दम पर है। वे आगत परम्पराओं को जाँचते-तौलते भी ख़ूब हैं और गाँधी की तरह अपने घर की खिड़कियों को स्वस्थ प्राण-वायु के लिए खुली भी रखते हैं।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2020
Edition Year 2020, 1st Ed.
Pages 184p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.5
Write Your Own Review
You're reviewing:Acharya Nand Dulare Vajpeyi
Your Rating

Editorial Review

It is a long established fact that a reader will be distracted by the readable content of a page when looking at its layout. The point of using Lorem Ipsum is that it has a more-or-less normal distribution of letters, as opposed to using 'Content here

Vijay Bahadur Singh

Author: Vijay Bahadur Singh

विजय बहादुर सिंह

जन्म : 16 फरवरी 1940; गाँव—जयमलपुर, ज़‍िला—अम्बेडकर नगर, उ.प्र.।

शिक्षा : छात्र जीवन कोलकाता और सागर, मध्य प्रदेश में बीता।

साहित्य : आलोचना, कविता, संस्मरण, जीवनी लेखन के अलावा कवि भवानीप्रसाद मिश्र, दुष्यन्त कुमार और आलोचक आचार्य नन्ददुलारे वाजपेयी रचनावली का सम्पादन। आजीविका हेतु अध्यापक रहे और स्कूली शिक्षा पर भी कुछेक पुस्तकें लिखीं। 'आज़ादी के बाद के लोग' स्‍वातंत्र्योत्तर भारतीय समाज के चारित्रिक प्रगति और पतन से सम्बन्धित लेखों की उनकी चर्चित पुस्तक है।

कई विलक्षण प्रतिभाओं—नागार्जुन, भवानीप्रसाद मिश्र के अलावा उन्होंने उदय प्रकाश, बसंत पोतदार, शलभ श्रीराम सिंह, चित्रा मुद्गल, मैत्रेयी पुष्पा, शंकरगुहा नियोगी के शब्द-कर्म का विवेचन और सम्पादन किया।

कविता के अब तक नौ संकलन आ चुके हैं। आलोचक के रूप में कविता, कहानी, उपन्यास विधा में उन्होंने अपनी उपस्थिति दर्ज की है। राष्ट्रीय एवं प्रादेशिक स्तर के कई पुरस्कार एवं सम्मानों से विभूषित हैं।

 

Read More
Books by this Author

Back to Top