Aatmakatha Aur Upanyas

Edition: 2013, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Radhakrishna Prakashan
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Aatmakatha Aur Upanyas

''...हमलोग यह तो बिना झिझक मान लेते हैं कि उपन्यास में आत्मकथात्मक तत्त्व उपस्थित रहता है और कोई भी पाठक जो लेखक के जीवन में रुचि रखता है, उसे इन अंशों को पहचानने में आनन्द आता है। वहीं आत्मकथा में कल्पना या औपन्यासिकता की चर्चा मात्र हमें विचलित कर देती है। हम मानते हैं कि आत्मकथा का मूल चरित्र उसका उपन्यास न होना है।...’’

 

''...आत्मकथा में कल्पना का प्रवेश केवल लेखक के सामाजिक सरोकारों से सम्बन्धित नहीं है, बल्कि वह कला की एक आवश्यक माँग भी है। आत्मकथाकार के लिए प्रमुख समस्या यह है कि एक तरफ़ उसे ईमानदारी के साथ आत्म के छुपे स्तरों को उजागर करना होता है, साथ ही उसी समय उसे रूप, संरचना, ध्वनि आदि साहित्यिक सौन्दर्य की कलात्मक पूर्ति का भी प्रयास करना होता है। यथार्थ और तथ्य अपने आप में कलात्मक नहीं होते हैं। उन्हें लेखक अपनी सर्जनशील कल्पना के साँचे में कच्ची सामग्री की तरह प्रयुक्त करता है।...’’

—इसी पुस्तक से

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Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2013
Edition Year 2013, Ed. 1st
Pages 168P
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Publisher Radhakrishna Prakashan
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Gyanendra Kumar Santosh

Author: Gyanendra Kumar Santosh

ज्ञानेन्‍द्र कुमार सन्‍तोष

जन्म : 2 अक्टूबर, 1979; सीवान (बिहार)।

शिक्षा : प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा सीवान से। स्नातक की परीक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से उत्तीर्ण करने के उपरान्त जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली से एम.ए., एम.फ़िल. एवं पीएच.डी. की उपाधि।

प्रकाशन : ‘आत्मकथा और उपन्यास’ (आलोचना)।

सम्प्रति : 'नेशन फ़र्स्ट’ राजनीतिक-सामाजिक मासिक पत्रिका का सम्पादन। 'आलोचना’ त्रैमासिक पत्रिका के विगत अंकों का पुस्तकाकार रूप में नामवर सिंह के साथ सम्पादन। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल एवं आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी पर नामवर सिंह के कार्यों का राजकमल प्रकाशन के लिए सम्पादन। प्रतिष्ठित साहित्यिक-राजनीतिक पत्रिकाओं में नियमित लेखन।

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