Aacharya Ramchandra Shukla ke Itihas ki Rachna Prakriya

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Aacharya Ramchandra Shukla ke Itihas ki Rachna Prakriya

* आचार्य शुक्ल का "हिंदी साहित्य का इतिहास" उनकी साहित्य साधना की चरम परिणति है। अपने वर्तमान रूप में उनका यह अंतिम ग्रंथ भी है और अन्यतम भी। हिंदी साहित्य के ज्ञान कोश के रूप में यह आज भी सबसे विश्वसनीय संदर्भ ग्रंथ है। एक साथ ही यह इतिहास भी है और आलोचना भी, समालोचना का सिद्धान्त भी और प्रमुख हिंदी साहित्यकारों का तारतमिक मूल्यांकन भी, हिंदी जाति की चित्तवृत्ति का 'संचित प्रतिबिम्ब' भी और हिंदी भाषा की मूल प्रकृति का मानक भी। 'यदिहास्ति तदन्यत्र यन्त्रेहास्ति न तत क्वचित्' (जो यहाँ है वही अन्यत्र है, जो यहाँ नहीं है वह कहीं नहीं है) की उक्ति बहुत कुछ इस कालजयी कृति के विषय में भी चरितार्थ होती है।

* "हिंदी साहित्य का इतिहास" का भी एक इतिहास है। आलोचना की यह एक ऐसी विकासशील कृति है जिसने अनेक चरणों में पूर्णता प्राप्त की है। सौभाग्य से इनमें से प्रत्येक चरण के आलेख प्रकाशित रूप में सुरक्षित हैं। यह और बात है कि वे सभी दस्तावेज सरलता से सुलभ नहीं हैं। किन्तु इतना निश्चित है कि इस 'इतिहास' का इतिहास इन आलेखों में ही छिपा है। उस इतिहास की निर्माण-प्रक्रिया का अनावरण उन सभी आलेखों के तुलनात्मक अनुशीलन से ही सम्भव है।

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Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 1996
Edition Year 2024, Ed. 2nd
Pages 167p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22.5 X 14.5 X 2
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Author: Sameeksha Thakur

समीक्षा ठाकुर

जन्म : 18 मार्च, 1968

शिक्षा : स्कूली शिक्षा वाराणसी में। दिल्ली विश्वविद्यालय से बी.ए., एम.ए., एम.फ़िल. और पीएच.डी.।

प्रकाशित पुस्तकें : आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के समीक्षा-सिद्धान्त और गीता रहस्य, आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के ‘इतिहास’ की रचना-प्रक्रिया।

सम्पादित पुस्तकें : ‘कहना न होगा’, ‘बात-बात में बात’।

सम्प्रति : दयाल सिंह कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय) के हिन्दी विभाग में एसोसिएट प्रोफ़ेसर।

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