Zanani Dyodhi

Author: Pearl S. Buck
Translator: Yashpal
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Zanani Dyodhi
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पर्ल एस. बक के ज़्यादातर उपन्यासों की विषयवस्तु परिवार और विवाह के इर्द-गिर्द घूमती है। ‘ज़नानी ड्योढ़ी’ भी इसका अपवाद नहीं है, लेकिन स्त्री-पुरुष सम्बन्धों पर जितने क्रान्तिधर्मी नज़रिए से इस उपन्यास में उठाया गया है, वह अभूतपूर्व है। 20वीं सदी के चौथे दशक में जब यह उपन्यास आया था, तब नारी-स्वातंत्र्य का विचार अपनी शुरुआती अवस्था में ही था। पर्ल एस. बक ने मैडम वू की इस कथा के माध्यम से जिस साहस और कौशल के साथ स्त्री-जीवन, सेक्स, परिवार और रिश्तों के जितने पहलुओं को उठाया था, वह आश्चर्यजनक है।

मैडम वू एक सम्पन्न चीनी परिवार की महिला है जो अपनी चालीसवीं वर्षगाँठ पर फ़ैसला करती है कि वह परिवार की ज़िम्मेदारियों से मुक्त होकर शान्ति के साथ अपना जीवन व्यतीत करेगी और इसके लिए वह अपने पति के लिए दूसरी पत्नी का प्रस्ताव रखती है। उसके इस फ़ैसले से उस भरे-पूरे परिवार में हड़कम्प मच जाता है। उसके बेटे और बहुओं के बीच के अभी तक दबे-छुपे द्वन्द्व भी सामने आने लगते हैं और इस प्रक्रिया में लेखिका विवाह संस्था और स्त्री-पुरुष सम्बन्ध को हर कोण से देखने-समझने का ‘स्पेस’ रच देती है।

चीनी पृष्ठभूमि में शाश्वत मानवीय प्रश्नों से जूझता यह उपन्यास विश्वसाहित्य की एक अमूल्य निधि है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2009
Edition Year 2023, Ed. 2nd
Pages 308p
Translator Yashpal
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 2
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Author: Pearl S. Buck

पर्ल एस. बक

जन्म : 26 जून, 1892 को हिल्सबोरो, वेस्ट वर्जीनिया।

1895 में अपने मिशनरी माता-पिता के साथ चीन-प्रवास। बचपन वहीँ बीता। चीनी भाषा पहले सीखी, उसके बाद अपनी माँ और अध्यापक से अंग्रेज़ी का ज्ञान प्राप्त किया। 1910 में अमेरिका वापसी और 1914 में रैडोल्फ-मैकन विमेन्स कॉलेज से डिग्री प्राप्त की। इसके उपरान्त पुनः चीन वापस आकर विवाह किया। कुछ समय तक नानकिंग विश्वविद्यालय में अंग्रेज़ी साहित्य का अध्यापन। इसी समय एक बच्चे को गोद भी लिया। 1926 में स्नातकोत्तर पढ़ाई के लिए अमेरिका आई और कार्नेल विश्वविद्यालय से डिग्री ली।

बक का लेखकीय जीवन 1930 में उनकी पहली पुस्तक 'ईस्ट विंड : वेस्ट विंड' से शुरू हुआ। 1931 में उनका सर्वश्रेष्ठ उपन्यास ‘द गुड अर्थ’ प्रकाशित हुआ। इसी पर उन्हें ‘पुलित्जर पुरस्कार’ मिला और वे इस पुरस्कार को पानेवाली पहली महिला बनीं। 1935 में ‘विलियम डीन हावेल्स मेडल’ मिला। 1934 में राजनीतिक कारणों से उन्हें चीन आना पड़ा। इसी दौरान तलाक़, पुनर्विवाह और 6 अन्य बच्चों को गोद लिया। 1938 में आपको साहित्य के लिए ‘नोबेल पुरस्कार से सम्मानित’ किया गया। इसके पूर्व वे अपने माता-पिता की जीवनियाँ ‘द एक्साइल’ और ‘द फ़ाइटिंग एंजेल’ लिख चुकी थीं।

सौ से अधिक साहित्य कृत्यों की रचयिता पर्ल एस. बक ने 1949 में संकर नस्ल, विशेषकर अमेरिकी-एशियाई मूल के बच्चों के लिए, अपनी तरह की पहली संस्था ‘वेलकम हाउस इंक’ की स्थापना की।

निधन : 6 मार्च, 1973

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