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Yun Bhi Kabhi-Kabhi
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Yun Bhi Kabhi-Kabhi
जब ज़िन्दगी की रोशनी ने अचानक काला लिबास पहन लिया और अन्धकार छा गया तब कविता ने मुझे सिखाया कि उस मुक़ाम पर जहाँ दूसरों की बुराइयों की चोट से रोना नहीं आता, बल्कि लोगों की अच्छाइयाँ देख आँखें भर आती हैं, बस तभी असली कविता की शुरुआत होती है, और आज आँखों में कुछ नमी सी है...।
Language | Hindi |
---|---|
Format | Hard Back |
Publication Year | 2018 |
Edition Year | 2018, Ed. 2nd |
Pages | 79p |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publisher | Radhakrishna Prakashan |
Dimensions | 22 X 28.5 X 1 |