Yug-Pravartak Dularelal Bhargava

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Yug-Pravartak Dularelal Bhargava
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ब्रिटिश काल में जब उर्दू बाहुल्य वातावरण था ऐसे में युगान्तकारी हिन्दी प्रकाशक के रूप में दुलारेलाल जी उभरकर सामने आये। उनका संपूर्ण जीवन हिन्दी साहित्य की अभिवृद्धि करने में व्यतीत हुआ। तत्कालीन हिन्दी की लब्धप्रतिष्ठ पत्रिकाएँ 'सुधा', 'माधुरी' आदि का सम्पादन इनके द्वारा किया गया। सम्पादन क्यों हो? किसका हो? इन सभी प्रश्नों के उत्तर उनकी पत्रिकाएँ स्वतः दे देती है। साहित्यिक गतिविधियों के अतिरिक्त सामाजिक, राजनैतिक संचेतना, आर्थिक स्थिति तथा मनोविज्ञान तक की सीमाओं को उन्होंने अपनी पत्रिकाओं द्वारा संस्पर्श किया। इससे यह स्पष्ट होता है कि भार्गव जी केवल साहित्यकार नहीं थे, न उनके प्रोत्साहक, वे बहुआयामी प्रतिभा के धनी थे। जीवन के हर कोने में उन्होंने झाँककर उसकी मर्म छवियाँ अपनी पत्रिकाओं में चित्रित कीं। चित्र से लेकर विचित्र तथ्यों की खोज और प्रकाशन उनके सम्पादन का लक्ष्य था।
पं. सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला जी ने स्पष्ट लिखा है कि श्री दुलारेलाल भार्गव जी ने हिन्दी की जो सेवा की है, उसका मूल्य निर्धारित करना मेरी शक्ति से बिलकुल बाहर है। "सुधा" और "माधुरी" में बराबर आप नवीन लेखकों को प्रोत्साहित करते रहे हैं, कितनी ही महिला- लेखिकाएँ तैयार कीं। यह क्रम हिन्दी की किसी भी पत्रिका में नहीं रहा। इस प्रोत्साहन-कार्य में भार्गव जी का स्थान सबसे पहले है।

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Language Hindi
Format Paper Back
Publication Year 2023
Edition Year 2023, Ed. 1st
Pages 304p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 2
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Dr. Pushpa Dwivedi

Author: Dr. Pushpa Dwivedi

डॉ. पुष्पा द्विवेदी

डॉ. पुष्पा द्विवेदी का जन्म 15 फरवरी 1966 को लखनऊ में हुआ। एम.ए. (हिन्दी), बी.एड., पी-एच.डी., डी.पी.ए. लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ से उत्तीर्ण करने के उपरान्त टी.जी.टी. (हिन्दी)। 23 जुलाई 1990 से 17 नवम्बर 1996 तक जवाहर नवोदय विद्यालय कीर्तनपुर, बहराइच (उ.प्र.) में अध्यापन कार्य किया।

सम्प्रति : एसोसिएट प्रोफेसर हिन्दी विभाग हरप्रसाद दास जैन महाविद्यालय - आरा, भोजपुर बिहार।

साहित्य-सेवा : शिवसिंह ‘सरोज’ : व्यक्तित्व और सर्जनात्मक ऊर्जा सुमित्रानन्दन पन्त की कल्पना एवं बिम्ब धर्मिता, लक्ष्मण महाकाव्य : नया कथ्य : नया शिल्प प्रकाशित।

शोध-परियोजना (यू.जी.सी.) : ‘सांस्कृतिक वर्चस्व के विरुद्ध अभिवंचितों का दैनंदिन प्रतिरोध (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा वित्त पोषित)

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