Yashodanandan

Edition: 2017, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
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Yashodanandan
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श्रीकृष्ण और गोपियों का सम्बन्ध पूर्ण रूप से परमात्मा को समर्पित जीवात्मा का सम्बन्ध है। स्वयं श्रीकृष्ण कहते हैं—“मेरी प्रिय गोपियो, तुम लोगों ने मेरे लिए घर-गृहस्थी की उन समस्त बेड़ियों को तोड़ डाला है, जिन्हें बड़े-बड़े योगी-यति भी नहीं तोड़ पाते। मुझसे तुम्हारा यह मिलन, यह आत्मिक संयोग सर्वथा निर्मल और निर्दोष है। यदि मैं अमर शरीर से अनन्त काल तक तुम्हारे प्रेम, सेवा और त्याग का प्रतिदान देना चाहूँ, तो भी नहीं दे सकता। मैं जन्म-जन्म के लिए तुम्हारा ऋणी हूँ। तुम अपने सौम्य स्वभाव और प्रेम से मुझे उऋण कर सकती हो, परन्तु मैं इसकी कामना नहीं करता। मैं सदैव चाहूँगा कि मेरे सर पर सदा तुम्हारा ऋण विद्यमान रहे।”

एक ऐसा उपन्यास जिसे आप पढ़ना शुरू करेंगे, तो बिना समाप्त किए रख नहीं पाएँगे। ऐसी अद्भुत कृति की रचना वर्षों बाद होती है। औपन्यासिक विधा में लिखा गया यह उपन्यास श्रीकृष्ण का यशोदानन्दन के रूप में वर्णित भाँति-भाँति की लीलाएँ अपने वितान में समेटे हुए हैं, जो समस्त हिन्दी पाठकों के लिए सिर्फ़ पठनीय ही नहीं, संग्रहणीय भी है।

 

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2017
Edition Year 2017, Ed. 1st
Pages 152p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1
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Vipin Kishore Sinha

Author: Vipin Kishore Sinha

विपिन किशोर सिन्हा

जन्म : सन् 1954 में ग्राम—बाल बंगरा, पो.—महाराजगंज, ज़िला—सिवान, बिहार।

शिक्षा : बी.टेक इन मेकेनिकल इंजीनियरिंग, आई.आई.टी., काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी।

प्रमुख कृतियाँ : ‘कहो कौन्तेय’ (‘महाभारत’ पर आधारित), ‘यशोदानन्‍दन’ (श्रीकृष्‍ण के जीवन पर आधारित), ‘शेष कथित रामकथा’ (‘रामायण’ पर आधारित), ‘क्या खोया क्या पाया’ (उपन्‍यास); ‘फ़ैसला’ (कहानी-संग्रह); ‘राम ने सीता का परित्याग कभी किया ही नहीं’ (शोध-पत्र)।

सम्मान : 'सारस्वत सम्मान' (संस्कृति, वाराणसी द्वारा), प्रवक्ता सम्मान (प्रवक्ता.काम, नई दिल्ली द्वारा)।

उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लि., वाराणसी में मुख्य अभियन्ता-पद से सेवानिवृत्त।

ई-मेल : bipin.kish@gmail.com

वेबसाइट : bksinha.blogspot.com

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