Vipin Kr Aggarwal Rachanawali : Vols. 1-2

Editor: Sheela Agrawal
Edition: 2001, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
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Vipin Kr Aggarwal Rachanawali : Vols. 1-2
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प्रस्तुत रचनावली में डॉ. विपिनकुमार अग्रवाल के तीन निबन्ध-संग्रह, दो नाटक-संग्रह, एक नाटक और एक उपन्यास संकलित हैं।

संवाद का आधार तर्क है। तर्क सन्तुलन से हटकर बराबर गतिशील रहता है। एक निष्कर्ष पर पहुँचकर तुरन्त उसे चुनौती देता है। हर देखे गए पहलू और हर मिले परिवेश को पूरी तस्वीर का अंग मानता है। अत: खोज कार्य को कभी समाप्त नहीं करता है। चिन्तन के इस प्रवाह को ये लेख प्रत्यक्ष करते हैं। विपिन के बोलती-बात करती इन रचनाओं की विशेषता है कि इनका स्वर कहीं ऊँचा नहीं उठता, तेज़ नहीं पड़ता। तीखापन आता है तो उनके अचूक व्यंग्य में। सुई की जगह वे तलवार का प्रयोग नहीं करते थे। बल्कि तलवार की जगह भी वे सुई से ही काम लेना चाहते थे। इसके लिए जो सहज आत्मविश्वास चाहिए, वह उनके समूचे व्यक्तित्व में था और बिना किसी प्रदर्शन के। प्रस्तुत रचनाओं में इस व्यक्तित्व की प्रेरक और प्रीतिकर झलक आपको जगह-जगह मिलेगी।

सहज-बुद्धि से रोज़-रोज़ की ज़िन्दगी हम तमाम औद्योगिकीकरण की कठिनाइयों के बीच जी रहे हैं, और चारों ओर फैली असंगतियों को ढो रहे हैं। नाटकीय भाषा और हरकत के समन्वय के द्वारा यह बात सामने लाई गई है। नाटकों में शब्द और हरकत पर विशेष बल दिया गया है। वहाँ बेतुकी भाषा और बेतुकी हरकतें पूरे नाटक को नया अर्थ देती हैं। दैनिक जीवन से जुड़ी साधारण बात भी विशेष स्थिति में रखकर वे विशेष मायने की गूँज पैदा कर देते हैं, नया अर्थ जोड़ देते हैं। इस प्रकार उनमें स्पष्ट दृष्टि और नाटकीय क्षण के प्रति सजगता पूर्ण रूप से है।

उपन्यास ‘बीती आप बीती आप’ एक नए प्रकार का उपन्यास है। इसमें भाषा के द्वारा हम अपने अतीत, आज और कल को टटोल सकते हैं और पास-पास आने दे सकते हैं। नए ढंग से देखने और परखने का अवसर दे सकते हैं। हम कह सकते हैं कि विपिन की सम्पूर्ण रचनाओं का एक ही मापदंड है कि वे कुछ अधिक कहती हैं, कुछ नया जोड़ती हैं। चाहे वे जीवन से अधिक कहें या साहित्य से अधिक कहें या अब तक का जो दर्शन है, उससे अधिक कहें।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2001
Edition Year 2001, Ed. 1st
Pages 1043p
Translator Not Selected
Editor Sheela Agrawal
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 6.5
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Vipin Kumar Agarwal

Author: Vipin Kumar Agarwal

विपिन कुमार अग्रवाल

जन्म : 2 अप्रैल, 1931

1952 से प्रयाग विश्वविद्यालय में भौतिक विज्ञान का अध्यापन एवं शोध-कार्य।

प्रमुख कृतियाँ : नाटक-संग्रह—‘तीन अपाहिज’, ‘लोटन’; कविता-संग्रह—‘ढूँढ़ा और पाया’, ‘आकारहीन संसार’, ‘नंगे पैर’; निबन्ध-संग्रह— ‘आधुनिकता के पहलू’; उपन्‍यास—‘बीतीआप बीतीआप’।

निधन : 1989

 

 

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